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दिल्ली में सांस लेना हुआ आसान; सहकारिता धन्यवाद के पात्र!

अगर आपको इन दिनों दिल्ली में सांस लेना आसान लग रहा हैतो इसके लिए आपको हरियाणापंजाबयूपी और एनसीआर के किसानों की सहकारी समितियों का धन्यवाद करना चाहिए। को-ऑपरेटिव के माध्यम से पराली जलाने के रोकधाम से वायु-प्रदूषण में कमी लाने के लिए काफी प्रभावशाली रहा।

इस पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुएआईसीएआर के महानिदेशक, त्रिलोचन महापात्र ने दावा किया कि वर्ष 2018 में फसल अवशेष जलाने की घटनाओं में बड़े पैमाने पर कमी देखी गई। उन्होंने कहा कि यह दर्शाता है कि समन्वित सार्वजनिक और निजी प्रयासों के माध्यम से ऐसी चुनौतियों का प्रभावी ढंग से सामना किया जा सकता है।

जैसा कि हमने पहले प्रकाशित किया था कि पंजाब राज्य के 3,485 सहकारी समितियों के सचिवों को पंजाब के 8000 धान उगाने वाले गाँवों में ठूंठ जलाने को रोकने के काम में लगाया गया था। यही खबर अन्य राज्यों में भी है।

मंगलवार को नई दिल्ली में मीडिया को संबोधित करते हुएमहापात्र ने कहा कि पंजाबहरियाणाउत्तर प्रदेश और दिल्ली के एनसीटी‘ में फसल अवशेषों के प्रबंधन के लिए कृषि-मशीनीकरण को बढ़ावा देने के केंद्रीय क्षेत्र योजना के तहत विभिन्न प्रयासों के माध्यम से 2017 और 2016 की तुलना में 2018 में धान के अवशेष जलने की घटनाओं में 15% और 41% की कमी आई है।

सचिव ने यह भी कहा कि 2018 के दौरान पंजाब और हरियाणा के 4500 से अधिक गांवों को “जीरो स्टबल बर्निंग विलेज” के रूप में घोषित किया गया था क्योंकि वर्ष के दौरान इन गांवों से एक में भी फसल जलने की घटना नहीं हुई थी।

महापात्र ने कहा कि भारत सरकार द्वारा पंजाबहरियाणाउत्तर प्रदेश राज्यों और दिल्ली के एनसीटी में वायु प्रदूषण से निपटने और फसल-अवशेष के इन-सीटू प्रबंधन के लिए आवश्यक मशीनरी को सब्सिडी देने के लिए 2018-19 से 2019-20 तक की अवधि के लिए 1515.80 करोड़ रुपये की कुल राशि के साथ केंद्रीय क्षेत्र योजना शुरू की गई थी।

इसके कार्यान्वयन के एक वर्ष के भीतर 500 करोड़ रुपये का उपयोग करके खुशहाल बीजक/शून्य जुताई तकनीक को भारत के उत्तर-पश्चिमी राज्यों में लाख हेक्टेयर भूमि में अपनाया गया था।

इस योजना के तहतइन-सीटू फसल अवशेष प्रबंधन मशीनों की खरीद के लिए किसानों की वित्तीय सहायता लागत का @50% व्यक्तिगत स्वामित्व के आधार पर प्रदान की जाती है।  इन-सीटू फसल अवशेष प्रबंधन मशीनरी के कस्टम हायरिंग केंद्रों की स्थापना के लिए वित्तीय सहायता परियोजना लागत का 80% है।

आईसीएआर पंजाबहरियाणादिल्ली और यूपी के राज्यों में फैले 60 कृषि विज्ञान केंद्रों (केवीके) के माध्यम से इस योजना को लागू कर रहा हैजो किसानों के साथ मिलकर काम करते हैं।  इस योजना मेंसभी राज्यों में होर्डिंग्सबैनर और दीवार चित्रों को लगाकर, विभिन्न प्रकार के प्रदर्शनों का आयोजन करके जागरूकता अभियान चलाया गया।

गाँव के स्तर पर बड़े पैमाने पर जागरूकता कार्यक्रमकिसान गोष्ठियांकिसान मेला और संवेदनशील स्कूली बच्चे अभियान के मुख्य आकर्षण थे।

राज्य विभागों और कृषि विश्वविद्यालयों के सहयोग से एक वर्ष के दौरान लाख से अधिक हितधारकों को संवेदनशील बनाया गया।400 से अधिक प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किए गए और 18,000 किसानोंट्रैक्टर मालिक और मशीन ऑपरेटरों को प्रशिक्षित किया गया।

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