एनसीडीसी की पूर्व प्रबंध निदेशक वसुधा मिश्रा को अभी भी महिला-उन्मुख कार्यक्रमों पर जोर देने के लिए याद किया जाता है। उन्होंने एक उत्तम विचार सामने रखा है। वह विचार है कि सहकारी समितियों द्वारा बीमार सार्वजनिक उपक्रमों का अधिग्रहण किया जाये।
वसुधा मिश्रा ने कहा, “चूंकि कई सार्वजनिक उपक्रमों का विनिवेश होने की संभावना है, इसलिए यह समय है कि सहकारी समितियां सरकार को समझाएं और प्रभावी योजना बनाकर ऐसे सार्वजनिक उपक्रमों में से कुछ का अधिग्रहण करें”।
कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय में अतिरिक्त सचिव, वसुधा ने आईसीए-एपी और एनसीयूआई द्वारा 20-22 अगस्त, 2019 को दिल्ली में आयोजित ‘सहकारी व्यापार के लिए लैंगिक समानता में वृद्धि‘ विषय पर दो दिवसीय कार्यशाला के समापन समारोह में यह बात कही।
एनसीयूआई की प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया कि इस कार्यशाला में आईसीए-एपी महिला समिति की सदस्य और एशिया-प्रशांत क्षेत्र- जिनमें जापान, नेपाल, ईरान, फिलीपींस, थाईलैंड, भारत आदि शामिल हैं– की सहकारी समितियों की अन्य महिला प्रतिनिधि उपस्थित थीं।
मिश्रा ने विस्तार में बताया कि सहकारी समितियों को सार्थक हस्तक्षेप करने के लिए समय परिपक्व है क्योंकि सार्वजनिक क्षेत्र काफी दबाव का सामना कर रहा है। सहकारी मॉडल जो सतत और न्यायसंगत विकास पर जोर देता है, उसकी आज अधिक प्रासंगिकता है। उन्होंने कहा कि सरकार सहकारी क्षेत्र के कामकाज में सुधार के लिए एक नीति लाने की योजना बना रही है।
उन्होंने महसूस किया कि हालांकि कृषि क्षेत्र में किसानों के लाभ के लिए योजनाएं हैं, परंतु सहकारी समितियों के लिए ऐसी योजनाएं नहीं हैं। उन्होंने यह भी महसूस किया कि सरकार प्राथमिकता के रूप में किसान उत्पादक संगठनों को बढ़ावा देगी ताकि किसानों की आय दोगुनी हो सके, जिससे कई सहकारी समितियों के लिए एफपीओ फ्लोट करने का अच्छा अवसर मिलेगा।
उन्होंने देश के हर कोने में सरकार की विभिन्न योजनाओं के बारे में एक अच्छी जागरूकता पैदा करने की आवश्यकता पर भी जोर दिया, जिसके लिए सहकारी समितियाँ सबसे अच्छा माध्यम हो सकती हैं।
इससे पहले, कार्य-स्थल पर महिलाओं की स्थिति को बढ़ाने पर एक सत्र अध्यक्षता करते हुए उन्होंने कहा कि सरकार सहकारी संस्थानों में महिलाओं के यौन उत्पीड़न को रोकने के लिए ‘बहु-राज्य सहकारी समितियां संशोधन विधेयक’ में आंतरिक गंभीर शिकायत समिति के लिए प्रावधान लाने पर विचार कर रही है।
इस अवसर पर बोलते हुए आईसीए-एपी के क्षेत्रीय निदेशक बाला सुब्रमण्यम अय्यर ने कहा कि हमें सहकारी समितियों को एक स्टार्ट-अप उद्यम के रूप में देखने की आवश्यकता है और यह स्कूलों, कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में व्यापक रूप से लोकप्रिय होना चाहिए। उन्होंने कहा कि एशिया-प्रशांत क्षेत्र की सभी सहकारी समितियों में लैंगिक समानता को बढ़ावा देने के लिए आईसीए-एपी प्रतिबद्ध है।
एनसीयूआई के मुख्य कार्यकारी एन सत्यनारायण ने इस अवसर पर कहा कि 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने में योगदान के लिए सहकारी समितियों में लैंगिक समानता को बढ़ावा देना बहुत महत्वपूर्ण है। उन्होंने यह भी कहा कि “एनसीयूआई महिला सहकारी शिक्षा क्षेत्र परियोजना” ने लैंगिक समानता को बढ़ावा देकर काफी अच्छा किया है।
सत्र का संचालन ‘आईसीए-एपी महिला समिति’ की अध्यक्ष- सुश्री नंदिनी आजाद ने किया। उन्होंने कहा कि ‘आईसीए-एपी महिला समिति’ ने पहली बार लैंगिक असहमति वाले आंकड़ों को एकत्र करने में एक अच्छी पहल की है, यह देखते हुए कि डेटा संग्रह और विश्लेषण सहकारी संगठनों के कामकाज में एक कमजोर क्षेत्र रहा है।
कार्यशाला में मुख्य रूप से सिफारिश की गई कि महिलाओं को सहकारी संगठनों में अपने भाग्य को बनाने की अनुमति दी जानी चाहिए। इसके अतिरिक्त, यह आवश्यक है कि प्रत्येक सहकारी समिति यौन उत्पीड़न से निपटने के लिए बेहतर प्रबंध करे।