छत्तीसगढ़ राज्य में सहकारी समितियों की स्वायत्तता को प्रश्रय देते हुए उच्च न्यायालय ने कांग्रेस सरकार द्वारा सहकारी समितियों को पुनर्गठित करने के नाम पर निलंबित किये गये बोर्डों की बहाली का आदेश दिया है।
उच्च न्यायालय के आदेश के बाद राज्य में 1,333 से अधिक प्राथमिक कृषि सहकारी समितियों (पैक्स) और बृहत क्षेत्र बहुउद्देश्यीय सहकारी समितियों (लैम्पस ) के बोर्डों को राहत मिली है।
पैक्स और लैम्पस के कई बोर्ड के सदस्यों द्वारा दायर याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए उच्च न्यायालय ने सहकारी समितियों के पुनर्गठन के बारे में छत्तीसगढ़ सरकार के फैसले पर रोक लगा दी। फैसले के अनुसार बोर्ड के सदस्यों को पुनः बहाल करने की अनुमति दी गई है।
“भारतीयसहकारिता.कॉम” से बात करते हुए याचिकाकर्ताओं में से एक, तमस्विनी पैक्स के अध्यक्ष सोमेश चंद्र पांडेय ने कहा, “मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार ने पैक्स और लैम्पस की सभी बोर्डों को निराधार आरोपों में निलंबित कर दिया है, जिसमें कहा गया है कि वे राज्य पैक्स और लैम्पस दोनों का पुनर्गठन करेंगे”।
सोमेश ने कहा, “हमने सरकार के अलोकतांत्रिक फैसले को चुनौती देने के लिए 40 से अधिक पैक्स और लैम्पस के प्रतिनिधियों के साथ उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया।”
“सरकार के पास सहकारी समितियों के पुनर्गठन का लोकतांत्रिक अधिकार है, लेकिन अलोकतांत्रिक तरीके से नहीं। यह उनके फैसले की मनमानी है जिसने हमें उच्च न्यायालय जाने के लिए मजबूर किया। हमें खुशी है कि उच्च न्यायालय ने पैक्स और लैम्पस के पक्ष में फैसला सुनाया।”
उच्च न्यायालय ने आदेश दिया, “दोनों पक्षों को सुनने के बाद, हमारा विचार है कि विस्तृत विचार-विमर्श आवश्यक है। प्रथम दृष्टया हमारा भी विचार है कि, हालांकि सरकार अधिनियम की धारा 16(सी) के तहत पुनर्गठन के लिए योजना बनाने के लिए स्वतंत्र हो सकती है और इसे सभी संबंधितों के अधिकारों और हितों की रक्षा के लिए उचित तरीके से लागू किया जा सकता है, फिर भी निर्वाचित निकायों को विस्थापित करने में अकारण जल्दबाजी हुई है, जो संजय नगायच (सुप्रा) मामले में पारित हुए आदेश के विपरीत है।”
“प्राथमिक कृषि साख सहकारी समितियों के प्रबंधन को अनुलग्नक पी/1- पुनर्गठन योजना में दिनांक 25.07.2019 और कार्यवाही सं.15-35/15-02/2019 दिनांक 27.08.2019 के संबंध में ‘अधिकृत अधिकारी’ नियुक्त करने के अन्य कदम एक महीने की अवधि के लिए स्थगित रहेंगे। याचिकाकर्ता फिलहाल संबंधित समितियों के मामलों के प्रबंधन के लिए स्वतंत्रत हैं, जो आगे के आदेशों के अधीन होंगे”, आदेश आगे कहता है।
चूँकि यह कहा जाता है कि पैक्स और लैम्पस मुख्य रूप से भाजपा नेताओं द्वारा नियंत्रित हैं और राज्य में वर्तमान कांग्रेस सरकार इन सहकारी निकायों को अस्त-व्यस्त करने में जुटी है ताकि वह अपने लोगों को इन निकायों में बैठा सके।