आदर्श क्रेडिट के निवेशकों में से अगर एक निवेशक का विश्वास किया जाये तो गुजरात उच्च न्यायालय ने आदर्श क्रेडिट कोऑपरेटिव मामले में लिक्विडेटर एच एस पटेल की नियुक्ति को रद्द किया है। सोसायटी पर आरोप है कि इसने 20 लाख से अधिक जमाकर्ताओं की गाढ़ी कमाई के साथ धोखा किया है।
केंद्रीय रजिस्ट्रार ने दिसंबर 2018 अहमदबाद के सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी श्री एचएस पटेल को संकटग्रस्त आदर्श क्रेडिट कोऑपरेटिव सोसाइटी के लिए परिसमापक के रूप में नियुक्त किया था। पटेल की नियुक्ति को रद्द किये जाने से मामला एक बार फिर वहीं पहुंच गया है।
मंत्रालय की एमएससीएस वेबसाइट पर “परिसमापन सूची” में कोई बदलाव नहीं दिख रहा है। वेबसाइट में उल्लेख है कि लिक्विडेटर दिसंबर 2019 तक पूरा काम करेगा। लेकिन पीड़ित अशोक चौहान के पास साझा करने के लिए एक अलग कहानी है।
चौहान ने पहले दावा किया था कि आदर्श पर उनकी जनहित याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने स्वीकार कर लिया। अब वह कहते हैं कि श्री पटेल ने एक ईमेल के माध्यम से बताया कि गुजरात उच्च न्यायालय ने हाल ही में आदर्श क्रेडिट सहकारी समिति में लिक्विडेटर के रूप में उनकी नियुक्ति को रद्द किया है। पटेल ने चौहान को केंद्रीय रजिस्ट्रार के पास जाने की सलाह दी क्योंकि मामला अब उनके (रजिस्ट्रार) पाले में है।
आदर्श के पीड़ितों को विभिन्न सरकारी विभागों के बीच फुटबॉल के रूप में बताते हुए, चौहान, जिन्होंने पीएमओ सहित सभी को पत्र लिखे हैं, इस संवाददाता से कहते हैं, “प्रधानमंत्री कार्यालय, सहकारी समितियों के केंद्रीय रजिस्ट्रार, परिसमापक; सीएम कार्यालय राजस्थान, राजस्थान का सहकारिता विभाग, एसओजी पुलिस राजस्थान, न्यायालय और आयकर विभाग – इन सभी ने आदर्श क्रेडिट को-ऑपरेटिव सोसाइटी के जमाकर्ताओं को गेंद बना रखा है”।
वह आगे बताते हैं, “मेरी प्रधानमंत्री कार्यालय को भेजी गयी पिछली शिकायत क्र.डीओएएसी/ई/2019/00947, पीएमओ से होते हुए सहकारी समितियों के केंद्रीय रजिस्ट्रार के कार्यालय, फिर एचएस पटेल के पास पहुंची और अंत में उसे बंद कर दिया गया”।
वह पुनः बताते हैं, “प्रधानमंत्री कार्यालय को भेजी गई मेरी दूसरी शिकायत क्र. डीओएएसी/ई/2019 /01679 को निस्तारित कर दिया गया यह बताते हुए कि परिसमापक पहले से ही नियुक्त है, प्रक्रिया जारी है, आगे की जानकारी के लिए केंद्रीय पंजीयक कार्यालय की वेबसाइट देखें”।
चौहान कहते हैं, “जब श्री एच.एस. पटेल से इस मामले में किसी भी प्रगति के बारे में सूचित करने का अनुरोध किया, तो उन्होने मुझे एक ई-मेल भेजा और अवगत कराया कि गुजरात उच्च न्यायालय ने हाल ही में लिक्विडेटर के रूप में उनकी नियुक्ति को रद्द कर दिया। अतः उन्हें (पटेल) अब इस मुद्दे पर कोई लेना-देना नहीं है; किसी भी प्रगति की सूचना के लिए सहकारी समितियों के केंद्रीय रजिस्ट्रार का दरवाजा खटखटाएं।”
“सर, यह “न्यू इंडिया” की सुंदरता है जिसे श्री नरेंद्र मोदी ने अपने नवीनतम नारे के रूप में गढ़ा”, चौहान ने कहा।
इस बीच, ‘भारतीयसहकारिता.कॉम’ का सेंट्रल रजिस्ट्रार से संपर्क करने और इस मुद्दे पर उनकी प्रतिक्रिया जानने का प्रयास असफल रहा। मीडिया रिपोर्टों में कहा गया है कि ईओडब्ल्यू द्वारा मोदियों के खिलाफ कई एफआईआर दर्ज की गई हैं और मामला तेजी से आगे बढ़ रहा है।