सरकार से सेवा शुल्क प्राप्त करने में असमर्थ होने के बावजूद, मत्स्य सहकारी समितियों का शीर्ष निकाय फिशकोफेड अपने घाटे से उबर गया और वित्त वर्ष 2018-19 में लगभग 50 हजार रुपये का शुद्ध लाभ अर्जित किया है। अच्छी खबर यह है कि फिशकोफेड कुछ सालों में अपने शेयरधारकों को लाभांश का भुगतान करना शुरू कर देगा”, एनसीयूआई मुख्यालय में आयोजित 41वीं एजीएम में संस्था के अध्यक्ष ने कहा।
इसके प्रबंध निदेशक बी के मिश्रा ने कहा, “वित्त वर्ष 2016-17 में सहकारी संस्था को लगभग 1.2 करोड़ रुपये का घाटा हुआ था, लेकिन हम घाटे से उबर गये”। एजीएम से पहले फिशकॉफेड ने एक उच्च-स्तरीय संगोष्ठी का आयोजन किया, जिसका उद्घाटन केंद्रीय राज्य मंत्री परषोत्तम रूपाला ने किया।
फिलहाल संस्था अपने व्यापार को डायवर्सिफाई करने पर ध्यान केंद्रित कर रहे है और इस दिशा में इसने देश में 16 “एक्वा वन सेंटर” (एओसी) खोले हैं। सहकारी ने पिछले साल मछुआरों का उत्पादन बढ़ाने के लिए राजस्थान सरकार से सात से दस साल के लिए 20 हेक्टेयर की हैचरी लीज पर ली थी।
मिश्रा ने कहा, ‘वर्तमान में हम “भारतीय मेजर कार्प” (आईएमसी) और विदेशी कार्पों की ब्रीडिंग सफलतापूर्वक कर रहे हैं और बीज स्थानीय मछली किसानों को बेचा जा रहा है’।
मिश्रा ने आगे कहा, “मुझे निराशा है कि पूर्व केंद्रीय कृषि मंत्री राधामोहन सिंह के साथ हमारी कई बैठकों के बावजूद, महासंघ पिछले सात वर्षों से लंबित 2 करोड़ रुपये का सेवा प्रभार सरकार से वापस पाने में विफल रहा।”
41वीं वार्षिक आम बैठक के अवसर पर बोलते हुए, फिशकोफेड के अध्यक्ष टी प्रसाद राव डोरा ने कहा, “हम प्रति वर्ष 5 लाख फ्राई की स्थापित क्षमता के साथ लगभग 2.5 हेक्टेयर के क्षेत्र में एक गिफ्ट तिलपिया हैचरी स्थापित करने की योजना बना रहे हैं”।
“हम उम्मीद करते हैं कि वर्ष 2020-21 तक खेत में गिफ्ट तिलपिया के प्रति माह 1 मिलियन फ्राई का उत्पादन किया जाएगा। यह भारत की सबसे अच्छी हैचरी में से एक होगी”, -ओडिशा के एक शानदार सहकारी-संचालक डोरा’ ने आगे कहा।
“वर्ष 2018-19 के दौरान, देश के 24 राज्यों और 5 केंद्र शासित प्रदेशों के 30,39,374 मछुआरों को ओरिएंटल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड के माध्यम से पीएमएसबीवाई नीति के तहत बीमा कवर प्रदान किया गया है। फिशकोफेड भी मछुआरों के कल्याण के लिए कुछ बीमा स्कीम की योजना बना रही है जैसे,- “झोपड़ी और तालाब बीमा”, अध्यक्ष ने सभा को संबोधित करते हुए कहा।
डोरा ने आगे बताया, “वर्तमान वर्ष में, हमने अपने लंबित सेवा शुल्क को जारी करने के लिए मंत्रालय को एक पत्र भेजा है। मुझे उम्मीद है कि मत्स्य सहकारी समितियों के विकास और मत्स्य पालन के सतत विकास के लिए जल्द ही कार्रवाई की जाएगी”।
इस बीच, यूपी, एमपी और मणिपुर जैसे राज्यों में इकाई कार्यालय खोलने के लिए मछुआरे भी प्रयास कर रहे हैं, ताकि मछुआरों को बेहतर सेवा प्रदान की जा सके।
“एनसीडीसी को मत्स्य सहकारी समितियों के अनुकूल सहायता के पैटर्न को संशोधित करना चाहिए। सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में कृषि के साथ मत्स्य पालन किया जाना चाहिए। नए मत्स्य मंत्रालय के गठन के बाद, देश के मत्स्य सहकारी आंदोलन को मजबूत करने के लिए फिशकोफेड के लिए एक अलग बजट बनाया जा सकता है”, डोरा न रेखांकित।
एनसीयूआई के अध्यक्ष चंद्र पाल सिंह यादव, उपाध्यक्ष बिजेंद्र सिंह, फिशकॉफेड के पूर्व अध्यक्ष प्रकाश लोनारे और देश भर से लगभग 70 प्रतिनिधियों ने एजीएम में भाग लिया। फिशकॉफेड के उपाध्यक्ष रामदास पी संधे ने धन्यवाद प्रस्ताव रखा।