गत शुक्रवार को दिल्ली में एक संगोष्ठी में केंद्रीय राज्य मंत्री पुरुषोत्तम रुपाला की उपस्थिति में नेफकॉब अध्यक्ष ज्योतिंद्र मेहता ने कॉरपोरेट कंपनियों की तर्ज पर सहकारी क्षेत्र को भी कर में रियायत देने की मांग की।
क्या सहकारी ढांचे में व्यापार करना अपराध है?, मेहता ने इफको का उदाहरण देते हुए पूछा कि इफको को 33% कर का भुगतान करना पड़ता है जबकि अन्य कंपनी जैसे “दीपक उर्वरक” को उसी उर्वरक के उत्पादन के लिए केवल 22 प्रतिशत टैक्स देना पड़ता है।
इस बिंदु पर विस्तार से चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि एचडीएफसी को सिर्फ 22% कॉर्पोरेट टैक्स और छोटे को-ऑप बैंकों, जिनका कुल कारोबार 15 से 20 करोड़ है, को 33% का भुगतान करना होता है। क्या यह हास्यास्पद नहीं है? उन्होंने पूछा।
मेहता ने कैंपको और नेस्ले की तुलना की और कहा कि सहकारी समितियों और कॉर्पोरेट क्षेत्र के साथ एक जैसा व्यवहार नहीं किया जा रहा है जबकि सहकारी समितियां वाणिज्यिक हितों से परे सामाज की सेवा करती हैं।
इस मामले पर नेफकॉब ने वित्त मंत्री, वित्त सचिव और कृषि सचिव को पत्र लिखा है। “मैं इस संदर्भ में आपका हस्तक्षेप चाहता हूं”, उन्होंने रुपाला से कहा जो मंच पर बैठकर मेहता को गौर से सुन रहे थे।
बाद में अपने भाषण में केंद्रीय राज्य मंत्री पुरुषोत्तम रुपाला ने मेहता के तर्क को स्वीकार किया और कहा, “हाँ मैं आपकी बात से सहमत हूँ, आपके पास एक वैध तर्क है”। रुपला ने इस विसंगति को दूर करने के लिए हर संभव मदद करने का वादा किया।
बाद में पिछले शनिवार को नेफकॉब की एजीएम में इस मामले पर खुलकर बहस हुई।
मेहता ने यह भी बताया कि नेफकॉब के अलावा इफको सहित विभिन्न सहकारी-संगठन समानता की मांग कर रहे हैं और उन्होंने सरकार को पत्र लिखकर एक समान स्तरीय व्यवस्था की मांग की है।