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सहकारी प्रणाली के माध्यम से मछली पालन का आधुनिकीकरण और व्यवसायीकरण करने के लिए हाल ही में नई दिल्ली स्थित एनसीसीई ने मत्स्य सहकारी समितियों के अध्यक्षों और निदेशकों के लिए तीन दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया।
एनसीसीई द्वारा जारी प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार, इसमें तेलंगाना, ओडिशा, झारखंड और यूपी समेत अन्य राज्यों के 42 प्रतिभागियों ने भाग लिया। इस कार्यक्रम का उद्देश्य सहकारी नेताओं का ज्ञान बढ़ना था ताकि वे अपनी सहकारी समितियों का पेशेवर ढंग से संचालन कर सकें।
इस मौके पर प्रतिभागियों को अन्य प्रतिभागियों के साथ बातचीत करने और उनकी सहकारी समितियों के समक्ष चुनौतियों और मुद्दों पर चर्चा करने के लिए एक मंच भी प्रदान किया गया। कार्यक्रम में मत्स्य क्षेत्र से जुड़े विभिन्न विषयों पर विस्तार से बातचीत हुई।
प्रशिक्षण कार्यक्रम में बोलते हुए, एनसीसीई के निदेशक डॉ. वी. के. दुबे ने कहा कि मछली पालन क्षेत्र पारिश्रमिक मूल्य पर गुणवत्तापूर्ण मछली उपलब्ध कराने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है और सुझाव दिया कि प्रत्येक समिति को आगामी वर्षों के लिए एक व्यवसाय योजना बनानी चाहिए।
फिश्कोफेड के प्रबंध निदेशक बी.के. मिश्र ने मत्स्य सहकारी समितियों के विकास में फिशकोफेड की भूमिका का अवलोकन प्रस्तुत किया। एनबीसीएफडीसी की जीएम अनुपमा सूद ने मछुआरों के सहकारी संगठनों के लिए एनबीसीएफडीसी की योजनाओं और कार्यक्रमों पर एक सत्र आयोजित किया।
सहकारी सिद्धांतों और मूल्यों, योग्यता और प्रभावी नेतृत्व के कार्य, सहकारी प्रबंधन, मछुआरों के लिए बीमा योजनाएं, सहकारी संचार कौशल, आदि जैसे विषयों पर विशेषज्ञों के एक समूह द्वारा चर्चा की गई।
समापन सत्र में भाषण देते हुए डॉ वी.के. दुबे ने कहा कि प्रतिभागियों द्वारा प्राप्त ज्ञान का उपयोग उनकी समितियों में किया जाना चाहिए।
एनसीसीई के सहायक निदेशक अनंत दुबे ने कार्यक्रम का सफलतापूर्वक समन्वयन किया और सभी प्रतिभागियों ने कार्यक्रम की काफी सराहना की।