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महेश कटारे श्रीलाल शुक्ल स्मृति इफको सम्मान के विजेता घोषित

उर्वरक क्षेत्र की अग्रणी सहकारी संस्था इंडियन फारमर्स फर्टिलाइजर कोआपरेटिव लिमिटेड (इफको) द्वारा वर्ष 2019 के ‘श्रीलाल शुक्लस्मृति इफको साहित्य’ सम्मान के लिए कथाकार श्री महेश कटारे के नाम की घोषणा की गई है।

डॉ. विश्वनाथ त्रिपाठी की अध्यक्षता वाली चयन समिति में श्री डी.पी. त्रिपाठी, श्रीमती मृदुला गर्ग, प्रो. रविभूषण, श्री मुरली मनोहर  प्रसाद सिंह, श्री इब्बार रब्बी और श्री दिनेश कुमार शुक्ल शामिल थे।

कटारे को बधाई देते हुए इफको एमडी डॉ यू.एस.अवस्थी नेट्वीट किया, “आप सभी से बहुत ख़ुशी के साथ साझा कर रहा हूँ की #ग्रामीण और #कृषि जीवन को अपनी रचनाओं में मुखरित करने वाले #हिन्दी के यशस्वी कथाकार श्री महेश कटारे को वर्ष 2019 के #श्रीलाल शुक्ल स्मृति #इफको साहित्य सम्मान के लिए चुना गया है।उन्हें हार्दिक बधाई।“

श्री महेश कटारे का जन्म सन् 1948 में मध्य प्रदेश के ग्वालियर जिले के बिल्हैटी गॉंव में एक निम्न मध्यवर्गीय किसान-परिवार में हुआ। न केवल अपनी रचनाओं में बल्कि वास्तविक जीवन में भी वे खेती-किसानी से गहराई से जुड़े हैं। मध्य प्रदेश साहित्य परिषद, बिहार राजभाषा परिषद सहित अनेक साहित्यिक, सॉंस्कृतिक संस्थाओं द्वारा उन्हें सम्मानित किया गया है।

समर शेष है, इतिकथा अथकथा, मुर्दा स्थगित, पहरुआ, छछिया भर छाछ, सात पान की हमेल, फागुन की मौत, मेरी प्रिय कथाएँ, गौरतलब कहानियाँ (कहानी संग्रह); महासमर का साक्षी, अँधेरे युगान्त के, पचरंगी, विभाजन (नाटक); पहियों पर रात दिन, देस बिदेस दरवेश (यात्रावृत्त); कामिनी काय कांतारे, काली धार, भर्तृहरि, काया के वन में (उपन्यास); समय के साथ-साथ, नजर इधर -उधर आदि उनकी प्रकाशित कृतियॉं हैं।

कटारे को सम्मान मिलने की खबर सुनते ही सोशल मीडिया पर उनके अनुयायियों ने उन्हें बधाई दी। उनके एक प्रशंसक ने लिखा “साथियो, साल 2019 का ‘श्रीलाल शुक्ल स्मृति इफ्को साहित्य सम्मान’ ग्रामीण जीवन के चितेरे कथाकार महेश कटारे को दिए जाने का एलान हुआ है। इस सम्मान में उन्हें प्रतीक चिन्ह, प्रशस्ति पत्र के साथ ग्यारह लाख रूपये की राशि का चैक प्रदान किया जाएगा। वाकई यह एक बहुत बड़ा सम्मान है, जिसके वे सही हकदार हैं। आदरणीय कटारे जी से पहली ही मुलाकात में जो प्रेम और स्नेह मिला, वह आज भी उसी तरह बरकरार है। उन्हें दिली मुबारकवाद !

मूर्धन्य कथाशिल्पी श्रीलाल शुक्ल की स्मृति में वर्ष 2011 में शुरू किया गया यह सम्मान प्रत्येक वर्ष ऐसे हिन्दी लेखक को दिया जाता है जिसकी रचनाओं में मुख्यत: ग्रामीण व कृषि जीवन तथा हाशिए के लोग, विस्थापन आदि से जुड़ी समस्याओं, आकांक्षाओं और संघर्षों का चित्रण किया गया हो।

 इससे पहले यह सम्मान विद्यासागर नौटियाल, शेखर जोशी, संजीव, मिथिलेश्वर, अष्टभुजा शुक्ल, कमलाकांत त्रिपाठी, रामदेव धुरंधर और रामधारी सिंह दिवाकर को प्रदान किया गया है। सम्मानित साहित्यकार को एक प्रतीक चिह्न, प्रशस्ति पत्र तथा ग्यारह लाख रुपये की राशि का चैक प्रदान किया जाता है।

श्री महेश कटारे को यह सम्मान 31 जनवरी, 2020 को नई दिल्ली में एक समारोह में प्रदान किया जाएगा।

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