कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय के कृषि अनुसंधान और शिक्षा विभाग और भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद द्वारा बिम्सटेक देशों के लिए तीन दिवसीय स्मार्ट जलवायु कृषि प्रणालियों पर अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी नई दिल्ली में आयोजित की गई।
सभी सात बिम्सटेक देश – भूटान, बांग्लादेश, भारत, म्यांमार, नेपाल, श्रीलंका, थाईलैंड और बिम्सटेक सचिवालय के प्रतिनिधियों ने संगोष्ठी में भाग लिया। बिम्सटेक एक क्षेत्रीय संगठन है जिसमें दक्षिण एशिया और दक्षिण पूर्व एशिया के सात देश सदस्य हैं।
संगोष्ठी का उद्घाटन करते हुए, कृषि अनुसंधान और शिक्षा विभाग के सचिव तथा आईसीएआर के महानिदेशक डॉ. त्रिलोचन महापात्र ने इस बात पर जोर दिया कि जलवायु परिवर्तन के बावजूद, तकनीकी हस्तक्षेपों को अपनाकर किसानों की आय को प्रभावी ढंग से बढ़ाया जा सकता है।
उन्होंने कहा कि कृषि की मशीनीकरण तकनीक को जलवायु लचीला कृषि के एक घटक के रूप में लागू करते समय छोटी जोत की खेती एक चुनौती है। उन्होंने कहा कि भारत उत्सर्जन को कम करने, प्रौद्योगिकियों को विकसित करने और चुनौतीपूर्ण कृषि स्थितियों के अनुकूल बनाने के लिए जमीनी स्तर पर लागू करने के लिए लक्ष्यों को परिभाषित करने के लिए प्रतिबद्ध है।
बिम्सटेक सचिवालय, म्यांमार के निदेशक श्री हान थीन केयाव ने दुनिया में बदलते जलवायु परिदृश्य के अनुसार किसानों से कृषि में आधुनिक तकनीकों को अपनाने का आग्रह किया।
उन्होंने कहा कि इससे फसलों और खाद्य उत्पादों की पोषण गुणवत्ता को बनाए रखने में मदद मिलेगी।
संगोष्ठी का आयोजन भारत सरकार की पहल के रूप में किया गया। इसकी घोषणा भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने काठमांडू में 30-31 अगस्त, 2019 को 4वें बिम्सटेक शिखर सम्मेलन में की थी।
इस अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी का उद्देश्य अनुभव साझा करना था ताकि पारिस्थितिक दृष्टिकोण से जलवायु परिवर्तन के लिए अधिक उत्पादकता और लचीलापन के लिए उष्णकटिबंधीय छोटे धारक कृषि प्रणालियों के सुधार को सक्षम बनाया जा सके।
सफलता की कुछ कहानियों को बिम्सटेक देशों के लाभ के लिए केस स्टडी के रूप में साझा किया गया। संगोष्ठी में व्याख्यान और अनुभवों को साझा करने, अत्याधुनिक सुविधाओं का दौरा करने और अनुभव के लिए फील्ड का दौरा करने पर विचार-विमर्श किया गया।