एशिया और प्रशांत क्षेत्र में कृषि सहकारी समितियों के विकास के लिए नेटवर्क- निडाक ने हाल ही में कोलम्बिया में दो दिवसीय कार्यकारी समिति सत्र का आयोजन किया।
भारत के कई सहकारी निकाय जैसे एनसीडीसी और एनसीयूआई ने सत्र में भाग लिया। एनसीडीसी के प्रबंध निदेशक और निडाक के अध्यक्ष सुंदीप नायक का कहना है कि सत्र का उद्देश्य प्रगति की समीक्षा करना और 2020 के लिए एक रोड मैप तैयार करना था।
श्रीलंका के अंतर्राष्ट्रीय सहयोग के राज्य मंत्री, सुशील प्रेमजयन्था ने सत्र का उद्घाटन करते हुए कहा कि सरकार सहकारी आंदोलन द्वारा बड़े-बड़े स्टोर स्थापित करती है और अधिक से अधिक युवाओं को आंदोलन में शामिल करती है।
निडाक का मुख्यालय बैंकॉक में है। यह एक क्षेत्रीय मंच है जो 12 देशों के 21 शीर्ष सहकारी संगठनों को जोड़ता है। 2014 में भी श्रीलंका ने निडॉक के बैठक की मेजबानी की थी।
एनसीडीसी के एमडी और एनसीयूआई के सीई एन सत्यनारायण के अलावा, भारत, थाईलैंड, नेपाल, बांग्लादेश, फिलीपींस और केन्या के सहकारी नेताओं ने समारोह में भाग लिया। ट्राइफेड के एमडी प्रवीर कृष्ण ने भी बैठक में भाग लिया।
इस मौके पर प्रवीर कृष्ण ने ट्वीट किया, “कोलंबो, श्रीलंका में निडाक कार्यकारी समिति की बैठक। ट्राइफेड श्रीलंका में भी सहोगी ढूंढता है और क्या श्रीलंका भी हमारे जैसा नहीं हैं। यह दक्षिण भारत के किसी भी हिस्से में होने जैसा है। प्यारा शहर प्यारे लोग”।
ऩिडाक की स्थापना 1991 में एफ़एओ के तहत हुई थी। निडाक का उद्देश्य सदस्य देशों की सहकारी समितियों के माध्यम से अंतर व्यापार और क्षमता निर्माण को प्रोत्साहित करना है।
उल्लेखनीय है कि एनसीडीसी के एमडी सुदीप कुमार नायक के गतिशील नेतृत्व में पिछले साल निष्क्रिय हो चुके निडाक का पुनरुद्धार किया गया। उन्होंने न केवल विदेशी सदस्यों को बल्कि भारत सरकार को भी आश्वस्त किया कि बी टू बी की तर्ज पर सहकारी-से-सहकारी (सी टू सी) व्यवसाय के लिए एक अच्छा विचार है।
नायक और उनकी टीम ने सबसे पहले निडाक की महासभा की मेजबानी करने का निर्णय लिया था। आम सभा दिल्ली में हुई थी।
सरकार की नई कृषि नीति निडाक के लिए कारगर साबित हुई क्योंकि भारत की सहकारी समितियों ने व्यापार को बढ़ाने के लिए नई रणनीति अपनायी है। इस श्रृंखला में, एनसीडीसी ने गत अक्टूबर में दिल्ली के प्रगति मैदान में अंतरराष्ट्रीय ट्रेड फेयर का आयोजन किया था। पहली बार आयोजित इंडिया इंटरनेशनल कोऑपरेटिव्स ट्रेड फेयर को न केवल भारत बल्कि विदेशों से भी अच्छी प्रतिक्रिया मिली है।
सहकारी समितियों के उत्पादों के निर्यात को बढ़ावा देने के उद्देश्य से तीन दिवसीय मेले में 36 देशों से 120 से अधिक को-ऑप संगठनों ने भाग लिया था।