सहकार भारती ने हैदराबाद स्थित इंस्टीट्यूट ऑफ कोऑपरेटिव मैनेजमेंट में “राष्ट्रीय संगठन समिति” की बैठक का आयोजन किया, जिसमें सहकार भारत के राज्य अध्यक्षों, महासचिवों और अन्य लोगों ने भाग लिया।
बैठक में देश भर से लगभग 72 प्रतिनिधि उपस्थित थे। सहकार भारती के शीर्ष अधिकारियों में से एक ने कहा कि बैठक में 25 राज्यों से प्रतिनिधि आए थे। उन्होंने कहा, “वास्तव में, हमें प्रत्येक राज्य से 2-3 प्रतिनिधि को ही बुलाना था ताकि अपेक्षाकृत छोटे समूह में कार्य योजना बनाई जा सके”।
बैठक के तुरंत बाद, इस संवाददाता से बात करते हुए सहकार भारती के राष्ट्रीय अध्यक्ष रमेश वैद्य ने कहा, “हम सहकारी क्षेत्र से संबंधित विभिन्न मुद्दों पर विचार-विमर्श के लिए हर चार महीने में सहकार भारती से जुड़े नेताओं की बैठक आयोजित करते हैं। आखिरी बैठक पुणे में आयोजित की गई थी”।
इस बैठक में, अन्य बातों के अलावा, ग्रामीण विकास में सहकारी समितियों की भूमिका पर चर्चा हुई। वैद्य ने कहा, “हमने एनसीडीसी के क्षेत्रीय निदेशक, नाबार्ड के डीजीएम के समर्थन और उपस्थिति को सूचीबद्ध किया, जबकि एनसीसीटी हैदराबाद हमारा सह-आयोजक था।”
“कई विशेषज्ञों ने संबंधित क्षेत्रों के विभिन्न मुद्दों पर प्रतिभागियों को अवगत कराया, विशेष रूप से नेतृत्व विकास पर जोर दिया गया। दो दिवसीय बैठक के दौरान विभिन्न सत्र आयोजित किए गए”, उन्होंने रेखांकित किया।
उन्होंने आगे कहा कि बैठक सफल रही और विभिन्न विषयों पर चर्चा के साथ संपन्न हुई। सहकार भारती की सहकारिता आंदोलन को आगे बढ़ाने के प्रति प्रतिबद्धता को भी दोहराते वैद्य ने कहा कि देश में सहकारिता से जुड़ी कई समस्याओं को दूर करने के लिए सहकार भारती प्रयासरत है।
दो-दिवसीय आयोजन में सहकारी आंदोलन के विभिन्न पहलुओं पर विचार-मंथन किया।
इस बीच सहकारी भारत से जुड़े नेता सतीश मराठे ने कहा कि कार्यक्रम दो भागों में विभाजित था। एक संगठनात्मक मामलों से संबंधित था और दूसरा नए कार्याकर्ताओं को सहकार भारती के लक्ष्यों और उद्देश्यों के बारे में बताना।
पार्टी लाइन से हटकर, हम देश के किसी भी राज्य में सहकारी आंदोलन का समर्थन करते हैं। हमें अपनी छवि को भी सुधारना है, जो पीएमसी बैंक घोटाले के बाद धूमिल हुई है। यह हमारे एजेंडा में सबसे ऊपर था, वैद्य ने रेखांकित किया।
कार्यक्रम में सहकार भारती के राष्ट्रीय अध्यक्ष रमेश वैद्य, राष्ट्रीय उपाध्यक्ष डी एन ठाकुर, राष्ट्रीय महासचिव उदय जोशी, आरबीआई सेंट्रल बोर्ड के निदेशक सतीश मराठे और अन्य प्रतिष्ठित व्यक्ति उपस्थित थे।
11 जनवरी, 1978 को स्थापित, सहकार भारती ने अपने अस्तित्व के 40 वर्ष पूरे किये है। इसकी स्थापना 1978 में पुणे में स्वर्गीय लक्ष्मणराव इनामदार द्वारा की गई थी, जिसका उद्देश्य सहकारी आंदोलन के लाभों के बारे में जनता को जागरूक करना था। इसने अब तक 400 जिलों में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई है।