भाजपा से जुड़े सहकारी नेताओं की ओर से लगाए गए अधिकतम प्रयासों के बावजूद वे कृभको में पूर्व से सक्रिय शक्ति केंद्र को हटाने में विफल रहे। चन्द्रपाल और बिजेन्द्र सिंह के नेतृत्व वाली पुरानी टीम में कोई ज्यादा बदलाव नहीं देखा गया। हां केवल पूर्व बोर्ड के उपाध्यक्ष वी आर पटेल चुनाव हार गये।
भाजपा के कई शीर्ष सहकारी नेता सुबह से एनसीयूआई परिसर में डेरा डाले हुए थे, जिनमें गुजरात के कैबिनेट मंत्री जयेश रादडिया और पूर्व मंत्री मोहनभाई कुंदरिया, नेफेड के सरकारी नॉमिनी अशोक ठाकुर समेत कई अन्य थे। अश्चार्य की बात यह थी कि ये नेता मात्र एक सीट जीतने के लिए इतनी मेहनत कर रहे थे।
निर्वाचन क्षेत्र संख्या 6 में गुजरात से कृभको के 239 प्रतिनिधि हैं। भारतीय सहकारिता को जानकारी है कि भाजपा के शीर्ष नेताओं ने अपने प्रतिनिधियों से मगनभाई का समर्थन करने का स्पष्ट निर्देश दिया था। गुजरात के जिला सहकारी बैंकों में भाजपा की अच्छी पकड़ है।
बीजेपी के उम्मीदवार मगनभाई हालांकि चुनाव जीत गये लेकिन इसे कोई शानदार जीत नहीं कहा जा सकता। मगनभाई ने दावा किया था कि वे 200 से ज्यादा मत हासालि करेंगे लेकिन उन्हें मिले136 वोट जबकि उनके प्रतिद्वंदी वघाजीभाई बोडा ने फिर भी 88 वोट प्राप्त किये।
मगनभाई के अलावा, बोर्ड के बाकी सदस्य पुरानी टीम के प्रति निष्ठा रखते हैं और लाख चाहने के बावजूद बीजेपी कृभको की पूर्व सत्ता को हिला नहीं पाई, नाम न छापने की शर्त पर एक सहकारी नेता ने कहा।
उन्होंने आगे कहा कि सहकारिता ही एक ऐसा क्षेत्र है जहां राजनीतिक पार्टियां मायने नहीं रखती है। उन्होंने कहा, “चंद्र पाल सिंह ने भंवर सिंह शेखावत की मदद की जबकि शेखावत भाजपा से ताल्लुक रखते हैं।
“भाजपा ने इस बार बोडा को हराने का मुद्दा प्रतिष्ठा का बना लिया था लेकिन ऐसा अक्सर नहीं होता है। यह नियम नहीं अपवाद है,” सहकारी राजनीति का गुणगान करते हुए उन्होंने बताया।