अन्य खबरें

सहकारी चुनाव: जहां विजेता हारने वाले के पैर छूकर लेते हैं आशीर्वाद!

एक बार फिर स्पष्ट हो गया कि सहकारी राजनीति, सामान्य चुनावी राजनीति से बिल्कुल अलग है। इसका ज्वलंत उदाहरण कृभको चुनाव में देखने का मिला जहां हारने वाले और जीतने वाले दोनों एक दूसरे के गले लग रहे थे। अपने व्यवहार से वह ये साबित कर रहे थे कि यह एक दोस्ताना प्रतियोगिता थी।

जैसे ही उर्वरक सहकारी संस्था कृभको के चुनाव परिणामों की घोषणा हुई वैसे ही सहकारी नेताओं ने अपने वरिष्ठों के पैर छुए और उनका आशीर्वाद लिया। यह निश्चित है किसी मानवीय उत्थान का दृश्य था।

सबसे पहले, नवनिर्वाचित निदेशक मगनभाई वाडाविया ने कृभको के निवर्तमान उपाध्यक्ष वाघजीभाई बोड़ा के पैर छुए, जो चुनाव में उनके प्रतिद्वंद्वी थे। बाद में उन्होंने उन्हें कसकर गले भी लगाया।

इस बीच एक सहकारी नेता ने भारतीय सहकारिता से कहा कि, “सहकारी एक व्यवसायिक मॉडल है जहां मानवीय भावनाएं किसी भी चीज से ज्यादा मायने रखती हैं और लोग पदों से ज्यादा रिश्तों को महत्व देते हैं। उन्होंने चंद्र पाल सिंह का उदाहरण देते हुये कहा कि जीत के बाद उन्होंने एक नहीं बल्कि कई वरिष्ठ सहकारी नेताओं के पैर छुए, जिनमें शिशपाल सिंह यादव,  वी आर पटेल और  बिजेंद्र सिंह तक शामिल थे।

जैसे ही उपाध्यक्ष के रूप में सुधाकर चौधरी के नाम की घोषणा हुई वैसे ही उन्होंने चंद्रपाल के पैर छुए और बदले में चंद्रपाल ने उन्हें गले लगाया।

पाठकों को ज्ञात हो कि कृभको के गुरुवार के चुनावों में चंद्र पाल सिंह यादव को फिर से अध्यक्ष और सुधाकर चौधरी को उपाध्यक्ष के रूप में चुना गया है।

वी आर पटेल  48 वोटों से चुनाव हार गए।

 

Tags
Show More

Related Articles

Back to top button
Close