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आरबीआई के सीजीएम आर रविकुमार द्वारा गुरुवार को लिखे गए एक नए पत्र में, रिजर्व बैंक ने सहकारी बैंकों से पांच करोड़ रुपए या इससे अधिक के सभी लेन-देन की जानकारी बड़े ऋणों से संबंधित सूचना की केंद्रीय संग्रह प्रणाली- सी.आर.आई.एल.सी. को देने के निर्देश दिए हैं।
बैंकों को आरबीआई के एक्सबीआरएल रिपोर्टिंग प्लेटफॉर्म के माध्यम से तिमाही के अंत से 30 दिनों के भीतर बड़े लेन-देन पर डेटा जमा करना होगा।
केंद्रीय बैंक ने अधिसूचना में कहा, ‘‘यह निर्णय किया गया है कि जिन प्राथमिक (शहरी) सहकारी बैंकों की कुल संपत्ति 500 करोड़ रुपये और उससे ऊपर है और कर्ज 5 करोड़ रुपये और उससे अधिक के कर्ज दे रखे हैं, उन्हें सीआरआईएलसी को सीआरआईएलसी के अंतर्गत लाया जाएगा।’’
यूसीबी को तिमाही आधार पर सीआरआईएलसी रिपोर्ट देनी होगी। इसकी शुरूआत 31 दिसंबर 2019 से होगी। आरबीआई ने कहा कि इस बारे में विस्तृत निर्देश जल्दी ही जारी किया जाएगा।
सीआरआईएलसी-यूसीबी रिटर्न में तीन खंड शामिल होंगे, यथा – खंड 1 : बड़े उधारकर्ताओं के लेन-देन, खंड-2: तकनीकी रूप से/विवेकपूर्ण रूप से बंद खातों की रिपोर्टिंग; और खंड 3 : चालू खाते में शेष राशि की रिपोर्टिंग।
बैंकों को भारतीय रिज़र्व बैंक को बड़े क्रेडिट पर डेटा जमा करते समय डेटा ठीक होना और अखंडता के बारे में अत्यधिक सावधानी बरतने की सलाह दी जाती है, जिसमें असफल रहने पर सहकारी बैंक पर दंडात्मक कार्रवाई की जाएगी।