बिजनेस स्टैंडर्ड अखबार की खबर पर प्रतिक्रिया देते हुये कॉसमॉस बैंक ने कहा कि यह समाचार बेबुनियाद है और बैंक ऐसी कोई योजना नहीं बना रहा है। हाल ही में बिजेनस स्टैंडर्ड ने एक रिपोर्ट में कहा था कि देश के दो प्रमुख अर्बन कॉपरेटिव बैंक सारस्वत और कॉसमॉस बैंक वैश्विक बैंकिंग लाइसेंस प्राप्त करने की योजना बना रहे हैं।
वहीं जब इस संवाददाता ने सारस्वत बैंक के चेयरमैन गौतम ठाकुर से पूछा तो वह सुनकर आश्चर्यचकित रह गये और कहा कि, “मैंने इसके बारे में नहीं सुना है और अखबार से किसी ने भी मुझसे अब तक संपर्क नहीं किया है”।
“भारतीयसहकारिता” से बात करते हुए मुकुंद अभ्यंकर ने कहा, “हमारा ध्यान सबसे पहले साइबर हमले से हुये नुकसान की भरपाई करना है।”
अभ्यंकर ने कहा कि बैंक वास्तव में आरबीआई द्वारा वांछित बीओएम बनाने के लिए एक विशेष प्रस्ताव पारित करने के बारे में सोच रहा है। उन्होंने कहा, “हम एक विशेष आम सभा की बैठक बुलाकर बीओएम के गठन के लिए एक प्रस्ताव पारित करने की योजना बना रहे हैं, लेकिन यह मार्च के अंत में ही होगा”।
बिजनेस स्टैंडर्ड में प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार, दो प्रमुख यूसीबी ने पूर्ण रूप से वाणिज्यिक बैंकों में परिवर्तित होने के लिए आरबीआई से मंजूरी मांगेंगे।
अखबार के मुताबिक, “सारस्वत बैंक आरबीआई को 2020-21 की दूसरी छमाही तक अवादेन जमा करा सकता है, जबकि कॉस्मॉस बैंक वर्तमान में अपनी सूचना प्रौद्योगिकी प्रणालियों को मजबूत करने के लिए काम कर रहा है, विशेष रूप से भुगतान और प्रेषण के संदर्भ में”।
हालांकि, अभ्यंकर ने स्वीकार किया कि सारस्वत बैंक के रुख को जानने के बाद ही कॉसमॉस बैंक इस मामले पर कोई निर्णय लेगा।
इस मुद्दे पर प्रतिक्रिया देते हुए, नेफकॉब अध्यक्ष ज्योतिंद्र मेहता ने कहा कि वर्तमान में वाणिज्यिक बैंकों में परिवर्तित करने के लिए आरबीआई का कोई प्रस्ताव नहीं है। उन्होंने कहा कि छोटे वित्त बैंकों में रूपांतरण का प्रस्ताव है, लेकिन सारस्वत बैंक या कॉसमॉस बैंक जैसे बड़े खिलाड़ी इसके अनुरूप नहीं हैं।
मेहता ने कहा कि प्राथमिकता वाले क्षेत्रों को 75% ऋण देने की शर्त सहित कई प्रावधान हैं और वह भी 25 लाख रुपये की सीमा के भीतर, जो कि उनके विकास के लिए अनुकूल नहीं होगा। यह उनके और उनके सदस्यों के लिए हानिकारक होगा, उन्होंने रेखांकित किया।