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एक हास्यास्पद घटनाक्रम में एपी महेश बैंक के चेयरमैन एमेरिटस रमेश कुमार बंग को उसी बैंक का उपाध्यक्ष बनाया गया।
यह आश्चर्यजनक है लेकिन सच तो यही है। “भारतीयसहकारिता” को पता चला कि पिछले महीने आंध्र प्रदेश के एक शिकायतकर्ता ने केंद्रीय रजिस्ट्रार से अधिकार का दुरुपयोग कर “चेयरमैन एमेरिटस” पद के सृजन के बारे में शिकायत दर्ज कराई थी।
उनका तर्क सरल है – सहकारी बैंक या एमएससीएस अधिनियम के उपनियमों में “अध्यक्ष एमेरिटस” नाम के पद का कोई उल्लेख नहीं है। “जेनरल बॉडी” में मनमाने तरीके से प्रस्ताव पारित करने के बाद पद सृजित किया गया है – शिकायतकर्ता ने कहा।
इस मुद्दे पर “भारतीयसहकारिता” ने कई सहकारी नेताओं से बात की। उन्होंने भी वरिष्ठों को “एमेरिटस” के रूप में नामित करके “समायोजित” करने की इस प्रथा पर आपत्ति जताई। “अतिरिक्त पदों के सृजन की कोई आवश्यकता नहीं है; ऐसे चेयरमैन एमेरिटस के पास कोई अधिकार नहीं होता है। जब उनकी अवधि खत्म हो जाती हैं तब भी वे जाने के लिए तैयार नहीं होते हैं” – सहकारी नेताओं ने कहा।
वहीं आनन-फानन में रमेश बंग को चेयरमैन एमेरिटस से एपी महेश बैंक का ही उपाध्यक्ष बनाया गया ताकि बैंक में उनकी गरिमा संरक्षित रहे।
फिलहाल बैंक का शीर्ष नेतृत्व केंद्रीय रजिस्ट्रार के कार्यालय के चक्कर काटने को मजबूर है और रमेश बंग के पदनाम को अथावत बनाए रखने के लिए दलील दे रहा है। वह पूर्व में यूसीबी के अध्यक्ष के रूप में कार्य कर चुके हैं।
स्वयं रमेश कुमार बंग और सीईओ उमेश चंद असवा पिछले गुरुवार को सेंट्रल रजिस्ट्रार के कार्यालय गए थे और अपनी बात रखी।
चेयरमैन एमेरिटस होने की प्रथा केवल एपी महेश बैंक तक सीमित नहीं है। कई मल्टी स्टेट कोऑपरेटिव बैंक, जैसे – “कालूपुर कमर्शियल कोऑपरेटिव बैंक, कॉसमॉस कोऑपरेटिव बैंक, विशाखापत्तनम कोऑपरेटिव बैंक में चेयरमैन एमेरिटस का पद बनाया गया है।
यहाँ तक कि यूसीबी के सर्वोच्च निकाय– नैफब ने अपने पिछले चुनाव में एच के पाटिल के लिए इस पद का सृजन किया।