बिहार की राजधानी पटना के बापू सभागार में आयोजित सहकारी सम्मेलन में हजारों लोगों ने भाग लिया। वास्तव में रविवार का दिन सहकारी नेताओं के लिये बड़ा दिन था जब इस सम्मेलन में देश के विभिन्न राज्यों से आये दिग्गज सहकारी नेता पटना में इकट्ठे हुये। शहर के हर कोने में लगे होर्डिंग्स पर अपनी फोटो देखकर वे चकित थे। कभी पूरी तरह से नहीं भरा गया बापू सभागार सहकारी नेताओं से खचाखच था।
बिहार सहकारी सम्मेलन इसलिये भी खास था क्योंकि इस कार्यक्रम में भाग लेने के लिये राज्य के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अपने अन्य कार्यक्रम को आगे बड़ा दिया। इसे देखकर सहकारी नेताओं का मनोबल काफी बढ़ा गया।
अटल बिहारी बाजपेई सरकार में केंद्रीय कृषि मंत्री के रूप में एमएससीएस अधिनियम, 2002 को बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने गुजरे पल को याद करते हुए देश-भर से आये हुए सहकारी नेताओं का स्वागत किया और उन्हें अपने प्रिय प्रोजेक्ट “जल-जीवन-हरियाली” में मदद करने के लिए प्रेरित किया।
दिग्गज सहकारी नेताओं के अलावा इस कार्यक्रम में 6000 से अधिक पैक्स सदस्यों ने भाग लिया। सहकारी नेताओं में डॉ चन्द्र पाल सिंह, डॉ यू एस अवस्थी, ज्योतिंद्र मेहता, दिलीप संघानी, बिजेन्द्र सिंह समेत अन्य लोग उपस्थित थे।
दीप प्रज्वलित कर बिस्कोमान द्वारा आयोजित भव्य कार्यक्रम का उद्घाटन करते हुए नीतीश ने कहा, “20 साल के बाद, डॉ अवस्थी और डॉ. चंद्र पाल जैसे सहकारी नेताओं से मिलकर काफी खुश हो रही है। इस बात से वह सहमत होंगे की जब भी सहकारिता के लिए स्वायत्तता की मांग हुई, मैं उनके कंधे से कंधा मिलाकर खड़ा रहा। और मैं आज इस मंच से सहकारी आंदोलन को आगे बढ़ाने के लिये हर संभव मदद देने का वादा करता हूँ, सीएम ने रेखांकित किया।
हालांकि नीतीश सिर्फ एक घंटे के लिए आए थे लेकिन सहकारी नेताओं की भारी भीड़ देखकर वह काफी उत्साहित हुये और कार्यक्रम में लंबे समय तक रहे। अपने भाषण में बिस्कोमान के अध्यक्ष सुनील सिंह की सराहना करते हुए सीएम ने कहा कि किसानों के हित में उनके द्वारा किये जा रहे कामों को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।
दिलचस्प बात यह है कि मुख्यमंत्री ने बिस्कोमान के चेयरमैन को यह कहते हुए आश्वस्त किया कि उन्होंने कभी भी जेडीयू के सहकारी नेता या आरजेडी के सहकारी नेता के बीच भेदभाव नहीं किया है। बिना स्पष्ट बोलते हुए सीएम के कथन का आशय था कि हालांकि सुनील सिंह लालू के समर्थक हैं, लेकिन उन्हें किसी चीज से डरने की जरूरत नहीं है। नीतीश ने कहा कि, ”मैं राजनीति से ज्यादा सहकारी भावना को महत्व देता हूँ।
मुख्यमंत्री ने कहा कि सहकारी संस्थाएं महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं और उनके माध्यम से मैं “जल-जीवन-हरियाली” के संदेश के प्रचार- प्रसार की अपेक्षा रखता हूं। नीतीश ने उल्लेख किया कि राज्य में औसत वर्षा कम होता जा रहा है जिससे भूमिगत जल स्तर कम प्रभावित हुआ है।
राज्य में सहकारिता के क्षेत्र में अपनी उपलब्धियों को गिनाते हुए नीतीश ने कहा कि आज 1.20 करोड़ पैक्स सदस्य हैं और पैक्स में महिलाओं के लिए 35% आरक्षण है। कम्प्यूटरीकरण और कृषि यंत्र खरीदने के लिए 15 लाख रुपये के अनुदान के साथ पैक्स को मजबूत किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि पैक्स समितियों के पास ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बदलने की ताकत है।
इस अवसर पर भारत के सबसे बड़े इनडोर ऑडिटोरियम “बापू सभागर” में पैर रखने की भी जगह नहीं थी। सीएम ने बताया कि चीन के एक ऑडिटोरियम की तर्ज पर यह सभागार बनाया गया है।
बिहार सहकारी सम्मेलन में कई प्रतिष्ठित वक्ता थे लेकिन सीएम के व्यस्त कार्यक्रम को देखते हुए कुछ ही नेताओं ने इस अवसर पर अपना भाषण दिया। इनमें कृषि मंत्री प्रेम कुमार, सहकारिता मंत्री राणा रणधीर सिंह, इफको के एमडी डॉ यू एस अवस्थी, दिलीप संघानी और रमेश चौबे शामिल थे।
एनसीयूआई के अध्यक्ष डॉ चंद्र पाल सिंह यादव ने बैठक की अध्यक्षता की और प्रभावशाली भाषण दिया जबकि सुनील सिंह कुशल प्रबंधन और दिलचस्प एंकरिंग के लिये काफी मशहूर हुई।
सहकारी नेताओं ने मुख्यमंत्री के साथ राष्ट्रीय महासंघ के सभी अध्यक्षों और एमडी को एक मंच पर लाने के लिए बिस्कोमान की सराहना की। फिशकॉफेड के चेयरमैन टी डोरा प्रसाद ने कहा, ‘हालांकि मुझे मत्स्य क्षेत्र से जुड़ी समस्याओं को उठाने का मौका नहीं मिला, लेकिन मुझे खुशी है कि हम सीएम के साथ बैठे”।
इस कार्यक्रम में नीलम चौधरी की टीम ने गणेश वंदना प्रस्तुत की। साथ ही अन्य मनमोहक सांस्कृतिक कार्यक्रमों को भी प्रस्तुत किया जाया।