लैंगिक समानता पर संयुक्त राष्ट्र की समीक्षा रिपोर्ट को निराशाजनक बताते हुए, भारत की महिला सहकारी नेता डॉ नंदिनी आजाद ने कहा कि इस रिपोर्ट में भारत की उपलब्धियों और सरकार की ओर से की गई पहल की अनदेखी की गई है।
नंदिनी ने यह बात चेन्नई में लाइफ टाइम अचीवमेंट अवार्ड प्राप्त करते हुए कही।
न्यूयॉर्क से प्रकाशित “यूएन वूमन रिव्यू” ने पिछले सप्ताह “महिलाओं पर बीजिंग चतुर्थ विश्व सम्मेलन” के 25 साल के आंकड़ों का संकलन किया है, जिसमें उल्लेख है कि “लैंगिक समानता हासिल करने के लिये अभी लंबा रास्ता तय करना है। यह बात डॉ नंदिनी आजाद ने बताई जो वर्किंग वुमन फोरम (भारत) की कार्यवाहक अध्यक्ष हैं।
डॉ आजाद ने कहा कि भारत ने डब्ल्यूडब्ल्यूएफ और आईसीएनडब्ल्यू जैसे विशाल संगठनों का नेतृत्व किया है, जिसमें 6 लाख से अधिक महिला सदस्य हैं। उन्होंने विश्व निकाय का आह्वान किया कि वे भारत में महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए काम करने वाली संस्थाओं पर अपना ध्यान केन्द्रित करें।
इस समीक्षा रिपोर्ट की चर्चा करते हुए डॉ नंदिनी आजाद ने कहा कि यह निराशाजनक है कि इस रिपोर्ट में भारत की उपलब्धियों और सरकार की ओर से की गई पहल को उजागर नहीं किया गया है।
उन्होंने कहा, ‘हमने जल्द ही 43 साल पूरा होने वाले जेंडर और इक्वेलिटी मॉडल के रूप में (डब्ल्यूडब्ल्यूएफ/आईसीएनडब्ल्
इस अवसर पर अपने उद्बोधन में, डॉ नंदनी आज़ाद ने अपने सहकारी संगठनों जैसे डब्ल्यूडब्ल्यूएफ और आईसीएनडब्ल्यू के बारे में भी बात की। उन्होंने कहा कि ये न केवल आर्थिक रूप से टिकाऊ हैं बल्कि लड़कियों और महिलाओं पर केंद्रित व्यवहार्यता और निवेश के साथ समावेशी सहकारी समितियां हैं।
उन्होंने कहा कि आईसीएनडब्ल्यू विशेष रूप से महिलाओं के आर्थिक सशक्तीकरण के लिए काम करने के लिए प्रतिबद्ध है ताकि समाज में लिंग आधारित हिंसा को समाप्त किया जा सके।
इस अवसर पर डॉ नंदिनी आजाद पर दस मिनट की डॉक्यूमेंट्री फिल्म भी दिखाई गई।
डॉक्यूमेंट्री में इस बात पर प्रकाश डाला गया कि वह जर्मनी स्थित यूरोप की सबसे बड़ी और सबसे पुरानी सहकारी संस्था रायफिसेन के बोर्ड में चुनी जाने वाली 50 साल की एकमात्र महिला हैं।
स्मरणीय है कि प्रतिष्ठित जर्मन इंडोलॉजिस्ट प्रोफेसर डिटमार रॉदरमुंड के अंतरराष्ट्रीय प्रकाशन “माय एनकाउंटर्स इन इंडिया” में डॉ नंदिनी को गौरवमय स्थान मिला है।