नेफकॉब के अध्यक्ष ज्योतिंद्र मेहता ने कोरोना वायरस संकट के मद्देनजर आरबीआई से कुछ रियायतें मांगी हैं। जिसमें मेहता ने एनपीए के वर्गीकरण में रियायत, सीआरएआर सीमा, यूसीबी पर जारी दिशा-निर्देशो में विस्तार करने समेत अन्य मांगे को शामिल किया हैं।
मेहता ने आरबीआई गवर्नर को एक पत्र के माध्यम से कहा, “आप अच्छी तरह से जानते हैं कि यूसीबी गरीबों, छोटे व्यवसाय, खुदरा व्यापार, एमएसएमई, आवास और एसएचजी/जेएलजी, आदि की वित्तीय जरूरतों को पूरा करते हैं। इन क्षेत्रों में सहकारी बैंकों ने अधिक ऋण दिया हुआ है और आर्थिक मंदी के दौर में बैंकों को कठिनाइयों का सामना करना पड़ा रहा है”।
कोविद-19 के कारण लॉकडाउन ने व्यवधान की समस्या को बढ़ा दिया है और बिक्री और राजस्व को प्रभावित किया है जिससे नकदी प्रवाह की समस्याएं बढ़ रही हैं। कई उधारकर्ताओं ने अपने ऋण इक्विटी अनुपात, रिटर्न ऑन कैपिटल का समाना करना पड़ रहा है।इसके अलावा, मंदी के दौर में नकदी प्रवाह भी प्रभावित हुई है, गर्वनर के लिखे गये एक पत्र के मुताबिक।
सभी प्रमुख यूसीबी और जिला/राज्य महासंघ एमएसएमई ऋण और विनिर्माण और रियल एस्टेट क्षेत्रों से जुड़े मुद्दों को लगातार उठा रहे हैं, पत्र में लिखा है।
कंज्यूमर ड्यूरेबल्स, ट्रांसपोर्ट ऑपरेटर्स और ज्वैलरी ट्रेडर्स को भी मार्किट में फिर से खड़े होने में लंबा समय लग सकता है। प्रमुख रेटिंग एजेंसियों के अनुसार, माइक्रो फाइनेंस, एसएमई उधारकर्ताओं और एलएपी सेगमेंट सहित असुरक्षित ऋण जैसे परिसंपत्ति वर्ग इन उधारकर्ताओं की कमजोर प्रोफ़ाइल के कारण संपत्ति की गुणवत्ता पर निरंतर दबाव देखेंगे, पत्र में आगे लिखा है।
उपरोक्त स्थिति से संकेत मिलता है कि सामान्य रूप से बैंकों और विशेष रूप से यूसीबी के एनपीए में काफी वृद्धि होगी क्योंकि सहकारी बैंकों से अधिकतर छोटे उधारकर्ता जुड़े होते हैं। पूंजी जुटाने और अन्य ऋणदाताओं के साथ प्रतिस्पर्धा करने और प्रौद्योगिकी अपनाना इन बैंकों के लिये हमेशा चुनौती होती है, पत्र के मुताबिक।
इसलिए यह अनुमान लगाया जा सकता है कि इन बैंकों का सितंबर 2019 से 31 मार्च 2020 तक एनपीए दोगुना हो सकता है। इन मुद्दों को तत्काल प्रभाव से संबोधित किया जाना चाहिए तानि इन बैंकों का नुकसान कम से कम हो।
इसलिए निम्नानुसार अनुरोध किया गया है: –
“असाधारण वैश्विक स्थिति और देश में, टर्म लोन, वर्किंग कैपिटल/ओवरड्राफ्ट क्रेडिट सुविधाओं और अन्य ऋणों सहित सभी प्रकार के ऋणों को सामान्य स्थिति बहाल होने तक 01 जनवरी, 2020 से 180 दिनों के मानक के अनुसार वर्गीकृत करने की अनुमति दी जाये।
90 दिनों के मानदंडों के कारण पहचाने जाने वाले एनपीए के लिए प्रावधान करने के लिए भी अनुमति दी जा सकती है, जिसे टाला जा सकता है। अतिदेय खातों के वर्गीकरण के लिए मौजूदा मानदंड तदनुसार श्रेणी एसएमए-0 में 0 से 60 दिनों के लिए अतिदेय पर विचार करने के लिए संशोधित किए जा सकते हैं, एसएमए-1 में 60 दिनों से 120 दिनों के लिए अतिदेय और एसएमए-2 श्रेणियों में 120 दिनों से 180 दिनों तक अतिदेय हो सकते हैं।
एनपीए की आगे की पहचान और प्रत्येक तिमाही में परिणामी प्रावधान पर आरबीआई द्वारा जोर नहीं दिया जाये। आरएसीपी मानदंडों में कड़ाई से परिभाषित वसूली के रिकॉर्ड की अवधारणा को सख्ती से लागू नहीं किया जाये। और इस संबंध में निरीक्षण अधिकारियों को संवेदनशील बनाया जाये।
व्यक्तिगत और खुदरा ऋण सहित सभी ऋण खातों को जिन्हें एसएमए -० से एसएमए 2 / एनपीए के रूप में वर्गीकृत किया गया है, को बिना किसी प्रावधान के और बिना उन्नयन के पुनर्निर्धारण की अनुमति दी जाये।
जनवरी से मार्च 2020 के दौरान अर्जित लेकिन अप्राप्त ब्याज को डबल्यूसीटीएल के रूप में परिवर्तित करने और निश्चित किश्तों में भुगतान करने की अनुमति दी जाये।
उपरोक्त परिणाम के रूप में किसी भी यूसीबी द्वारा आयोजित किसी भी अतिरिक्त प्रावधान को 31 मार्च, 2020 तक के लिए सीआरएआर और निवल मूल्य पूंजीगत धन के एक भाग के रूप में माना जाये।
“कैमेल्स रेटिंग” के कड़े मापदंडों को यह सुनिश्चित करने के लिए टाला जा सकता है कि 31 मार्च, 2020 तक सी और डी रेटेड यूसीबी में कोई वृद्धि न हो।
इसके अलावा बीआर एक्ट 1949 (एएसीएस) की धारा 35A के तहत निर्देशन में रखे गए यूसीबी को विलय और समामेलन के माध्यम से टर्नअराउंड या पुनरुद्धार के लिए एक वर्ष का और समय दिया जाये, पत्र में मांग की गई है।