संकट की इस घड़ी में सहकारी बैंकों से जुड़े कर्मचारियों की भूमिका की सराहना करने में केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से चूक हुई है जिससे सहकारी बैंकिंग क्षेत्र से जुड़े सहकारी नेता काफी नाराज हैं।
अपने “धन्यवाद” ट्वीट में, हालांकि सीतारमण ने सभी सार्वजनिक, निजी क्षेत्र के बैंकों और बैंक मित्र के कर्मचारियों को उनके सहयोग और कड़ी मेहनत के लिए बधाई दी है, लेकिन उन्होंने सहकारी बैंकों के कर्मचारियों के लिए समान शिष्टाचार व्यक्त नहीं किया।
14 अप्रैल को निर्मला सीतारमण के आधिकारिक सोशल मीडिया हैंडल ने लिखा, “पीएसबी, प्राइवेट सेक्टर के बैंकों और स्मॉल फाइनेंस बैंकों के 13.63 लाख बैंक कर्मचारियों के प्रति एफ़एम श्रीमती निर्मला सीतारमण बेहद आभारी हैं”।
सहकारी बैंकों से जुड़े कई कर्मचारियों ने सीतारमण के इस रुख पर निराशा व्यक्त की है। उन्होंने कहा, “संकट की इस घड़ी में सहकारी बैंकों के कर्मचारियों की एक समर्पित टीम के रूप में गिनती नहीं करने से बैंक के कर्मचारी काफी हैरान हैं”।
उल्लेखनीय है कि सहकारी बैंकों के कर्मचारी न केवल लोगों की मदद करने में सक्रिय हैं, बल्कि प्रधानमंत्री राहत कोष और अपने संबंधित राज्य के मुख्यमंत्री राहत कोष में भी योगदान दे रहे हैं।
यह दावा किया जा रहा है कि सहकारी बैंकों के कर्मचारियों ने राहत कोष में करोड़ों रुपये का योगदान दिया है। इसके अलावा, देश भर में सहकारी बैंकों की शाखाएं अपने ग्राहकों के लिए पहले की तरह दैनिक लेनदेन भी कर रही हैं।
भारत में सहकारी बैंकों का एक बड़ा नेटवर्क है। आरबीआई के आंकड़ों के अनुसार,कुल 1544 शहरी सहकारी बैंकों हैं जिनमें अनुसूचित यूसीबी 54, बहु-राज्य अनुसूचित यूसीबी 34, एकल-राज्य अनुसूचित यूसीबी 20 हैं। गैर-अनुसूचित यूसीबी की संख्या 1,490 आंकी गई है, एकल-राज्य गैर-अनुसूचित यूसीबी की संख्या 1,466 और बहु-राज्य गैर-अनुसूचित यूसीबी 24 है।