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नये नाम के साथ अम्ब्रेला संगठन का जन्म

शहरी सहकारी बैंकों और क्रेडिट सोसाइटियों के लिए बहु-चर्चित अम्ब्रेला संगठन (यूओ) का जन्म गत 18 अप्रैल (शनिवार) को हुआ, जिससे सहकारी हलकों में खुशी की लहर दौड़ गई।

अम्ब्रेला संगठन “एपेक्स कॉप फाइनेंस एंड डेवलपमेंट लिमिटेड” के नाम से कंपनी अधिनियम के तहत पंजीकृत किया गया है, जिससे कई लोग निराश भी हुए हैं क्योंकि वे चाहते थे कि इसे सहकारी अधिनियम के तहत पंजीकृत किया जाये।

इस कार्य की प्रशंसा करते हुए, नेफकॉब के सोशल मीडिया हैंडल ने लिखा, “यूसीबी के लिये अम्ब्रेला संगठन का लंबे समय से प्रतीक्षित सपना 18 अप्रैल, 2020 को पूरा हुआ, जब भारत सरकार के कॉर्पोरेट मामलों के मंत्रालय ने “अपेक्स को-ऑप फाइनेंस एंड डेवलपमेंट लि.” नाम से ‘निगमन प्रमाण-पत्र’ (सीओआई) प्रदान किया।

“हम जल्द ही भारतीय रिज़र्व बैंक (आरबीआई) के पास ‘पंजीकरण प्रमाण-पत्र’ जारी करने के लिए एक आवेदन दायर करेंगे”, नेफकॉब ने अपने एफबी पोस्ट पर लिखा।

नेफकॉब ने भी सदस्यों से यथाशीघ्र इस इकाई का हिस्सा बनने का आह्वान किया। संस्था ने आगे लिखा, “पूरा सहकारी क्षेत्र जल्द से जल्द एक छत के नीचे आ जाएगा। एमसीए से प्राप्त प्रमाण-पत्र की एक प्रति आपकी जानकारी के लिए साझा की जाती है”।

पिछले वर्ष सितंबर में दिल्ली में एनसीयूआई के सभागार में आयोजित पिछली एजीएम में, नेफकॉब के अध्यक्ष ज्योतिंद्र मेहता ने अम्ब्रेला संगठन बनाने के लिए आरबीआई की पहल का स्वागत किया था और इसे गेम-चेंजर बताया था। इससे पहले जून में आरबीआई ने कुछ शर्तों के साथ इस आशय का पत्र भेजा था।

इस मौके पर वी एस दास ने अम्ब्रेला संगठन पर एक प्रस्तुति दी जिसमें आरबीआई द्वारा निर्धारित शर्तों का विवरण दिया गया जैसे कि यूओ की सदस्यता स्वैच्छिक होगी।

“यूओ को एनबीएफसी के रूप में पंजीकृत किया जाएगा जो 4-5 वर्षों की अवधि में एक सकारात्मक अनुभव के बाद बैंक में परिवर्तित हो जाएगा”, तब उन्होंने स्पष्ट किया था।

हालांकि, कई प्रतिनिधि यूओ के एनबीएफ़सी के रूप में पंजीकृत होने से खुश नहीं थे और चाहते थे कि इसे सहकारी अधिनियम के तहत पंजीकृत किया जाए। एक-एक कर  दास, मेहता और अंत में पाटिल को हस्तक्षेप कर प्रतिनिधियों को आश्वस्त करना पड़ा कि यूओ को कंपनी अधिनियम के तहत पंजीकृत करने की क्या मजबूरी थी। “हमने पूरी कोशिश की लेकिन हमारे पास कोई और विकल्प नहीं था और हम यह सुनिश्चित करेंगे कि इस पर किसी एक बड़े समूह का एकाधिकार न हो क्योंकि हमारे पास इसका डिफरेंशियल शेयर होगा”, मेहता ने प्रतिनिधियों को समझाते हुये कहा था।

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