बिहार सरकार के इस फैसले के खिलाफ राज्य के सभी सहकारी नेता एकजुट हो गये हैं और इस फैसले का कड़ा विरोध कर रहे हैं। बता दें कि राज्य सरकार ने पैक्सों के जन वितरण प्रणाली के लाइसेंस को तीन महीने के लिए निलंबित कर दिया है।
इसके अलावा, सहकारी नेताओं ने चेतावनी दी है कि अगर सरकार अपना निर्णय वापस नहीं लेती है तो पैक्स गेहूँ की खरीद नहीं करेगी।
सोमवार को जारी आदेश में कहा गया है कि सरकारी समर्थन मूल्य पर गेहूं की खरीदारी के प्रति बिहार सरकार बेहद गंभीर है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पहले चालू वर्ष में गेहूं खरीद के लक्ष्य को दो लाख मीट्रिक टन से बढ़ाकर सात लाख मीट्रिक टन किया और अब पैक्सों को पूरी तरह इसी पर फोकस करने का निर्देश दिया है। उनसे जुड़े लाभार्थियों को करीब की पीडीएस दुकानों से संबद्ध करने का आदेश दिया गया है।
“भारतीयसहकारिता” से बात करते हुए बिस्कोमान के अध्यक्ष सुनील कुमार सिंह ने कहा, “हमने 4,000 से अधिक पैक्स के पीडीएस के लाइसेंस को निलंबित करने के आदेश का कड़ा विरोध किया। पिछले कई वर्षों से पैक्स समितियां सही तरह से वितरण कार्य कर रही हैं, लेकिन अब सरकार ने निजी विक्रेताओं को काम सौंप दिया है।”
उन्होंने आगे कहा, “यदि सरकार अपना फैसला वापस लेने में विफल रही तो मैं पैक्स के अध्यक्षों से गेहूं की खरीद का काम नहीं करने का आग्रह करूंगा। हम इस संबंध में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से एक प्रेस कॉन्फ्रेंस भी बुला रहे हैं जिसमें डीसीसीबी के कई अध्यक्ष भाग लेंगे।”
इस बीच, उन्होंने बिहार के खाद्य और आपूर्ति विभाग के अधिकारियों पर आरोप लगाया कि उन्होंने (अधिकारी) निजी विक्रेताओं से रिश्वत लेकर पीडीएस का काम आवंटित किया।
इस संबंध में अपनी प्रतिक्रिया साझा करते हुए, बिहार राज्य सहकारी संघ के अध्यक्ष विनय शाही ने भी राज्य सरकार के निर्णय की आलोचना की और कहा है कि सरकार द्वारा लिया गया निर्णय सहकारी क्षेत्र के हित में नहीं है। यह बिहार के सहकारी आंदोलन को कमजोर करेगा।
शाही ने आगे कहा, “सरकार ने पैक्स से वितरण के काम को छीनने के बाद सिस्टम को ध्वस्त कर दिया है। हम चुप नहीं बैठेंगे और समितियों के हित में अपनी आवाज उठाएंगे।”
हालांकि, सहकारिता मंत्री राणा रणधीर सिंह ने कहा, यह निर्णय गेहूँ की खरीद में तेजी लाने के उद्देश्य से लिया गया है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और खाद्य एवं आपूर्ति विभाग दोनों ने फैसले का समर्थन किया है।
राज्य में 8400 से अधिक पैक्स हैं लेकिन केवल 4000 पैक्स को पीडीएस का लाइसेंस प्राप्त है। कुछ पैक्स वित्तीय संकट, एसएफसी द्वारा देर से भुगतान और कई अन्य कारणों से काम नहीं कर रहे हैं।