हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने कृषि सहकारी संस्था नेफेड को निर्दोष मानते हुये संस्था के पक्ष में फैसला सुनाया है। बता दें कि अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता ने साल 1989 में फेडरेशन ऑफ ऑयल, सीड्स एंड फैट्स एसोसिएशन लिमिटेड (एफ़ओएसएफ़ए) के साथ नेफेड के हुये अनुबंध के उल्लंघन के आरोप में कृषि सहकारी संस्था के विरुद्ध 600 करोड़ रुपये का अवार्ड पारित किया गया था।
मामला 1979-80 में दक्षिण अफ्रीका स्थित एलेमेंटा को 5000 मीट्रिक टन मूंगफली की आपूर्ति से जुड़ा है। गुजरात में आये चक्रवाती तूफ़ान के कारण नेफेड केवल 1900 मीट्रिक टन मंगूफली की आपूर्ति कर सका और शेष 3,100 मीट्रिक टन का मामला दोनों दलों के बीच आर्बिट्रेशन की कार्यवाही और अदालती मामलों में उलझ गया। इसके लिये एफ़ओएसएफ़ए ने मुआवजे के रूप में 600 करोड़ रुपये देने का दावा किया।
इस बीच अंतरराष्ट्रीय फैसले को खारिज करते हुये, भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने देखा कि अगले साल मूंगफली भेजने का नेफेड का प्रयास (दिए गए वर्ष में यह सौराष्ट्र, गुजरात में चक्रवाती तुफ़ान के कारण नहीं किया जा सका) केंद्रीय सरकार की अनुमति पर आधारित था। चूंकि तत्कालीन सरकार ने नेफेड को मूंगफली भेजने की अनुमति नहीं दी थी, इसलिए संस्था ने सरकार के आदेशों का पालन किया और दोषी नहीं है।
शीर्ष अदालत ने नेफेड और एलेमेंटा के बीच अनुबंध के विवरण का भी उल्लेख किया और कहा कि इसके प्रावधान के तहत भी नेफेड को निर्दोष पाया जाता है।
पीटीआई की खबर के मुताबिक, अदालत ने कहा, “एफ़ओएसएफ़ए अनुबंध के खंड 14 में स्पष्ट है कि अनुबंध के दौरान किसी भी मूल सरकार के कार्यकारी या विधायी अधिनियम द्वारा निर्यात निषेध की स्थिति में, इस तरह के प्रतिबंध को अनुबंध पर दोनों पक्षों द्वारा लागू किया जाना समझा जाएगा। इस प्रकार, यदि खंड में वर्णित कारणों से जहाज पर माल लादना असंभव हो जाता है, तो समझौता रद्द कर दिया जाएगा।”
सुप्रीम कोर्ट ने देखा कि अंतरराष्ट्रीय अवार्ड “लागू करने योग्य नहीं” था, जिससे नेफेड शिविर में आनंदोत्सव का माहौल बन गया, जहां नेताओं ने कानूनी जीत का श्रेय लेने के लिए एक-दूसरे के साथ होड़ लगा दी।
सुनील के करीबी सहयोगियों में से एक ने कहा, “नेफेड के वाइस चेयरमैन सुनील कुमार सिंह और उनके वरिष्ठ सहयोगी डॉ चंद्र पाल सिंह यादव ने किसी भी दबाव में न झुकने और अपने दावे पर कायम रहने की ठान रखी थी।”
उन्होंने अध्यक्ष से मामले के परिणाम की प्रतीक्षा करने का अनुरोध किया था।उन्होंने कहा कि नेफेड की अपील को स्वीकार कर लिया गया था और देखिए कि किस तरह नेफेड करोड़ों रुपये की बचत कर पाया है।
एक अन्य ने नेफेड के अतिरिक्त प्रबंध निदेशक सुनील कुमार सिंह के नाम का उल्लेख किया, जिन्हें उन्होंने जीत का श्रेय दिया। “अतिरिक्त एमडी व्यक्तिगत रूप से अपनी कानूनी टीम और प्रतिष्ठित वरिष्ठ वकीलों की मदद से मामले को संभाल रहे थे”, उन्होंने तर्क दिया।