एनसीडीसी द्वारा निजी कंपनियों को ऋण दिए जाने के मुद्दे पर सहकार भारती ने केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर को पत्र लिखकर कड़ा विरोध जताया है।
संस्था के अध्यक्ष रमेश वैद्य द्वारा हस्ताक्षरित पत्र में मंत्री को अवगत कराया गया कि एनसीडीसी की स्थापना 1963 में संसद के एक अधिनियम द्वारा की गई थी, जो देश के सहकारी क्षेत्र के लिए विशेष रूप से सर्वोच्च वित्तीय और विकास संस्थान है।
पत्र में इस तथ्य की भी बात की गई कि निजी क्षेत्र को ऋण उपलब्ध कराने के लिए देश में कई संस्थान हैं, परंतु सहकारी क्षेत्र के लिए कोई भी संस्थान नहीं है और इसलिए सहकारी क्षेत्र पर विशेष रूप से ध्यान केंद्रित करने के लिए एनसीडीसी की स्थापना की गई थी।
कुछ अंशः
माननीय श्री नरेन्द्र सिंह तोमर जी
कृषि और किसान कल्याण मंत्री,
भारत सरकार, कृषि भवन, नई दिल्ली – 110001.
प्रिय श्री तोमर जी, ,
नमस्कार
हमें विभिन्न सहकारी सूत्रों से ज्ञात हुआ है कि आपके मंत्रालय (कृषि मंत्रालय) के अधिकारियों की हाल ही में आहूत बैठक में विचार किया गया और निर्णय लिया गया कि एनसीडीसी निजी क्षेत्र को भी वित्तीय सहायता प्रदान करे।
यह हम भी समझते हैं कि इस प्रस्ताव को मंजूरी के लिए प्रधान मंत्री कार्यालय (पीएमओ) को भेजा जा रहा है।
अधिकारियों की बैठक में लिए गए इस निर्णय से हम विचलित हैं। आप जानते हैं कि एनसीडीसी की स्थापना 1963 में संसद के एक अधिनियम द्वारा की गई थी, जो कि देश के सहकारी सेक्टर के लिए विशेष रूप से सर्वोच्च वित्तीय और विकास संस्थान है।
अभी तक एनसीडीसी ने 1 लाख से अधिक सहकारी समितियों को वित्तीय सहायता प्रदान की है और प्रसंस्करण, विपणन, कृषि उपज के भंडारण, पशुधन, मत्स्य पालन और डेयरी के पोषण से जुड़ी सहकारी समितियों को बढ़ावा देने और मजबूत बनाने में एक प्रमुख भूमिका निभाई है। एनसीडीसी ने सहकारी क्षेत्र में परिवहन, ग्रामीण आवास और स्वास्थ्य सेवा से संबंधित परियोजनाओं/अस्पतालों का भी समर्थन किया है।
बाजार दरों पर वित्तीय संसाधन जुटा कर और प्रशासनिक एवं परिचालन लागतों को न्यूनतम स्तर पर रखते हुए एनसीडीसी ने लक्ष्य प्राप्त किया है और वित्तीय संस्थानों और बैंकों से कड़ी प्रतिस्पर्धा की स्थिति में प्रतिस्पर्धी दरों पर वित्तीय सेवाएं दी है।
ऐसे देश के लिए, जहां 8.50 लाख से अधिक सहकारी संस्थान/समितियां 25 करोड़ से अधिक अंशधारकों की सेवा कर रही हैं और जब देश का वर्तमान ध्यान किसानों की आय को दुगुना करने पर है, तो हमें सहकारी क्षेत्र के लिए एनसीडीसी जैसे और विशिष्ट संस्थानों की आवश्यकता है।
ऐसे समय में, जब निजी क्षेत्र में बैंक (पीएसयू, प्राइवेट सेक्टर, विदेशी, लघु वित्त बैंक इत्यादि), एनबीएफ़सी, एफ़डीआई, वेंचर कैपिटल, म्यूचुअल फ़ंड, इंश्योरेंस कंपनी और इक्विटी एवं बॉन्ड बाजार आदि, जैसे विभिन्न चैनलों की पहुँच है, कृषि मंत्रालय में अधिकारियों के पास यह सिफारिश करने का कोई कारण नहीं है कि एनसीडीसी को अब निजी क्षेत्र को वित्तीय सहायता प्रदान शुरू करना चाहिए।
कुछ साल पहले, ऐसा ही एक प्रस्ताव पीएमओ को प्रस्तुत किया गया था जिसे बाद में निरस्त किया गया था। इसलिए, एक बार फिर से पीएमओ के पास वैसे ही प्रस्ताव को भेजना उचित नहीं है।
हम, सहकार भारती, आपसे इस मामले में हस्तक्षेप करने और यह सुनिश्चित करने की पुरजोर अपील करते हैं कि एनसीडीसी संसद के एक अधिनियम के माध्यम से प्राप्त किए गए जनादेश के अनुसार कार्य करना जारी रखे।
आपका धन्यवाद
रमेश वैद्य,
राष्ट्रीय अध्यक्ष,
सहकार भारती.