बिहार में 4000 पैक्स समितियों के पीडीएस लाइसेंस निलंबित करने के मुद्दे पर नीतीश सरकार से कोई सकारात्मक प्रतिक्रिया नहीं मिलने पर सहकारी नेताओं ने पटना उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है।
इस संदर्भ में कई दिग्गज सहकारी नेता जैसे रमेश चन्द्र चौबे, सत्येन्द्र नारायण सिंह, जितेंद्र कुमार और महेश राय समेत अन्य ने सरकार को पत्र भी लिखे थे, लेकिन कुछ लाभ नहीं निकला। इस बीच “भारतीयसहकारिता” से बात करते हुये बिस्कोमान के अध्यक्ष सुनील कुमार सिंह ने कहा कि वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से आयोजित एक बैठक में उन्होंने तय किया था कि अगर सरकार उनकी बात नहीं मानती है तो उनके पास हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाने के अलावा कोई दूसरा विकल्प नहीं होगा।
सुनील ने आगे बताते हुये कहा, “वरिष्ठ अधिवक्ता वाई वी गिरि ने हमारी याचिका दायर की है और सौभाग्य से इसे माननीय न्यायालय ने स्वीकार भी कर लिया है।”
नीतीश सरकार पर आरोप लगाते हुये सुनील ने कहा कि सरकार ने कुछ निजी व्यापारियों को फायदा पहुंचाने के लिये पैक्स समितियों का पीडीएस लाइसेंस निलंबित किया है। उन्होंने षड्यंत्र रचने में खाद्य विभाग के कुछ अधिकारियों पर सीधे-सीधे हमला बोला है।
पाठकों को याद होगा कि अप्रैल से शुरू होने वाले तीन महीनों के लिए, प्रधानमंत्री गरीब योजना के तहत प्रत्येक राज्य में राशन (चावल, आटा और दाल) वितरित किया जा रहा है। वहीं केवल तीन ही महीने के लिए पैक्स के पीडीएस लाइसेंस को रद्द किए जाने पर सहकारी नेताओं को साजिश का संदेह है।
इस बीच, यह मुद्दा धीरे-धीरे सार्वजनिक विरोध का रूप ले रहा है और कई पैक्स समितियों से जुड़े अध्यक्षों ने राज्य सरकार के मनमानी रवैये के खिलाफ सड़क पर उतरने की धमकी दी है।
इसकी घोषणा कई समितियों के अध्यक्षों ने संयुक्त रूप से की जिसमें बेनीपट्टी में पैक्स के चेयरमैन योगिनाथ मिश्रा, नवकारी के प्रवीण कुमार झा, तेन्था के विवेक कुमार राय और परुजार के दिलीप कुमार झा सहित अन्य शामिल हैं। गेहूं खरीद के सरकारी आदेशों का सामूहिक रूप से बहिष्कार किया जाएगा। ये पैक्स बिहार के मधुबनी जिले में हैं।
पैक्स के अध्यक्ष योगिनाथ मिश्र ने कहा कि पैक्स लाइसेंस को तीन महीने के लिए निलंबित करने का सरकार का फैसला अलोकतांत्रिक है। उन्होंने मांग की कि सरकार को निलंबन आदेश तुरंत वापस लेना चाहिए।
इससे पहले, बिस्कोमान निदेशक राम कलेवर सिंह ने मांग की थी कि सरकार को निलंबन-आदेश वापस लेना चाहिए। इस संबंध में, मुख्यमंत्री को भेजे गए एक पत्र में, उन्होंने किसानों और पैक्स के हित में निर्णय वापस लेने के लिए सरकार से अनुरोध किया था। उन्होंने चेतावनी दी थी कि यदि इसे वापस नहीं लिया गया तो गेहूं की खरीद प्रभावित हो सकती है।
हालांकि, सरकार ने कहा कि चालू वर्ष में गेहूं खरीद लक्ष्य 2 लाख मीट्रिक टन से बढ़ाकर सात लाख मीट्रिक टन करने पर ध्यान केंद्रित किया जा रहा है और पैक्स को खरीद पर ध्यान केंद्रित करने का निर्देश दिया गया है।
वहीं इन पैक्स समितियों से जुड़े लाभार्थियों को अपना मासिक कोटा पास की पीडीएस दुकानों से लेने का आदेश दिया गया है। राज्य सरकार और पैक्स के बीच लड़ाई के कारण कार्ड धारकों को अनावश्यक परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।