भारतीय रिजर्व बैंक ने मुंबई स्थित सीकेपी सहकारी बैंक का लाइसेंस कर दिया है। आरबीआई के इस फैसले से बैंक के लाखों जमाकर्ताओं पर आफतों का पहाड़ टूट पड़ा है।
आरबीआई की विज्ञप्ति के अनुसार, सहकारी समितियों के रजिस्ट्रार, पुणे, महाराष्ट्र, को सीकेपी को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड, मुंबई के मामलों को समेटने और बैंक के लिए एक परिसमापक नियुक्त करने के लिए एक आदेश जारी करने का अनुरोध किया गया है।
आरबीआई के फैसले से एक लाख से अधिक खाताधारक और हजारों निवेशकों को बड़ा झटका लगा है। यूसीबी की वेबसाइट के अनुसार, वर्तमान में बैंक का नेट वर्थ 230 करोड़ रुपये है और फिक्स्ड डिपॉजिट के तहत इसके द्वारा एकत्र की गई कुल राशि 485 करोड़ रुपये है।
लाइसेंस रद्द करने और परिसमापन कार्यवाही शुरू होने के साथ, डीआईसीजीसी अधिनियम, 1961 के अनुसार जमाकर्ताओं को भुगतान करने की प्रक्रिया को तेज किया जाएगा। परिसमापन पर, प्रत्येक जमाकर्ता डिपॉजिट इंश्योरेंस एंड क्रेडिट गारंटी कॉरपोरेशन (DICGC) से सामान्य नियम और शर्तों के अनुसार उसकी जमा राशि में से अधिकतम 5,00,000/-(पांच लाख रुपए केवल) पाने का हकदार है, विज्ञप्ति में कहा गया है।
वहीं सीकेपी को-ऑपरेटिव बैंक का लाइसेंस रद्द होने से ठाणे स्थित अन्य सहकारी बैंकों से जुड़े ग्राहकों के बीच घबराहट का माहौल है।
इससे पहले शीर्ष बैंक ने बैंक पर गैरकानूनी लेन-देन के चलते जुर्माना लगाया था। सूत्रों का कहना है कि बैंक के पदाधिकारी सहकारी बैंक के धन-धान्य के साथ लापरवाही बरत रहे थे।
बता दें कि RBI के मुताबिक बैंक का घाटा बढ़ने और नेट वर्थ में बड़ी गिरावट आने की वजह से बैंक के लेन-देन पर साल 2014 में प्रतिबंध लगाया गया था।
उसके बाद इस प्रतिबंध को कई बार बढ़ाया गया, आखिरी बार प्रतिबंध की अवधि 31 मई तक थी जिसे 31 मार्च को खत्म होने पर बढ़ाया गया था लेकिन बैंक की हालत में सुधार न होने पर आरबीआई ने उससे पहले ही कदम उठा लिया।