सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को एक अहम फैसला सुनाते हुये कहा कि सरफेसी अधिनियम सभी सहकारी बैंकों पर भी लागू होगा। इस फैसले ने शहरी सहकारी बैंकों से जुड़े सहकारी नेताओं के बीच उत्साह का माहौल उत्पन्न कर दिया।
कोर्ट के फैसले के मुताबिक, अब सहकारी बैंक भी बिना अदालत गए फंसे हुए कर्जों की वसूली के लिए गिरवी रखी गई सम्पतियों की नीलामी की प्रक्रिया शुरू कर सकते हैं।
जस्टिस अरुण मिश्रा, जस्टिस इंदिरा बनर्जी, जस्टिस विनीत शरण, जस्टिस एम आर शाह और जस्टिस अनिरुद्ध बोस की पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने मंगलवार को यह साफ कर दिया कि तमाम सहकारी बैंक सरफेसी अधिनियम के तहत आते हैं।
इस बीच नेफकॉब के अध्यक्ष ज्योतिंद्र मेहता ने “भारतीयसहकाता” से बात करते हुए कहा कि यह मांग बहुत लंबे समय से लंबित थी जिसे अदालत ने अब पूरा किया है।
सबसे पहले इस खबर को साझा करते हुये, नेफकॉब ने अपने सोशल मीडिया हैंडल पर लिखा, “सुप्रीम कोर्ट ने फ़ैसला सुनाया: सहकारी बैंक सिक्योरिटीज़ एक्ट के तहत कार्रवाई करने के लिए पात्र हैं, विवरण प्रतीक्षित है”।
बता दें कि करीब 160 से अधिक सहकारी बैंकों ने देश के विभिन्न न्यायालयों में प्रतिभूतिकरण अधिनियम के दायरे में उन्हें शामिल करने के लिए याचिका दायर की थी। इन याचिकाओं को सर्वोच्च न्यायालय द्वारा क्लब किया गया था जिसने इस मामले की सुनवाई के लिए एक संवैधानिक पीठ का गठन किया था।
इससे पहले, सहकार भारती ने सभी शहरी को-ऑप बैंकों पर सिक्योरिटाइजेशन लागू करने के लिए सरकार से मांग की थी।