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तोमर का सहकार भारती को संदेश; नहीं होगा एनसीडीसी का विस्तार

एनसीडीसी को केवल सहकारी क्षेत्र के उत्थान के लिये सीमित रखने वाले लोगों को बड़ी जीत हाथ लगी है। केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने स्पष्ट किया कि एनसीडीसी के कार्यक्षेत्र में विस्तार करने के लिये निजी क्षेत्र को शामिल करने पर कोई विचार नहीं किया जा रहा है।

मंत्री के कार्यकारी सहायक अविनाश आर्य ने बुधवार दोपहर को सहकार भारती के महासचिव उदय जोशी को फोन करके बताया कि मंत्रालय निजी क्षेत्र को एनसीडीसी से ऋण लेने की अनुमति देने पर कोई विचार-विमर्श नहीं कर रहा है। आर्य ने मंत्री की ओर से बताया, जोशी ने कहा।

बता दें कि मामला सार्वजनिक बहस में आने के बाद सभी सहकारी नेता क्रोध में आ गये थे कि सहकारी क्षेत्र को एकमात्र ऋण देने वाली सहकारी संस्था “राष्ट्रीय सहकारी विकास निगम” अब निजी कंपनियों को भी ऋण उपलब्ध कराएगी। हालांकि मंत्रालय के कुछ अधिकारियों ने इस विचार को रखा है।

फोन पर लगभग पांच मिनट की बातचीत में, श्री आर्य ने उदय जोशी से कहा कि मंत्री चाहते हैं कि सहकारी संस्थाओं को पता चले कि मंत्रालय इस तरह के किसी भी विचार को महत्व नहीं दे रहा है। यह सहकारी नेताओं के लिये बड़ी राहत है। “आर्य ने कहा कि इस मामले पर प्रशासनिक स्तर पर विचार-विमर्श हुआ होगा, जिसके बारे में मंत्री को जानकारी नहीं है। तोमर साहब ने निश्चितता के साथ आप सभी को आश्वासन दिया कि इस मामले को उनके स्तर पर नहीं उठाया जाएगा”,  जोशी ने आर्य के हवाले से “भारतीयसहकारिता” से बात करते हुए कहा।

पाठकों को याद होगा कि सबसे पहले सहकार भारती ने ही इस मुद्दे पर मंत्री को पत्र लिखा था। जोशी ने कहा, “हालांकि पत्र पर हमारे अध्यक्ष रमेश वैद्य के हस्ताक्षर थे और तोमर के कार्यकारी सहायक ने मुझे इसलिये फोन किया क्योंकि मंत्री की फाइलों में मेरा नंबर आसानी से उपलब्ध हुआ होगा”, जोशी ने इस मुद्दे पर नरमी दिखाते हुए बताया।

पिछले सप्ताह सहकारी नेताओं ने एनसीयूआई की गवर्निंग काउंसिल की पिछले सप्ताह हुई बैठक में एनसीडीसी के कार्यक्षेत्र में विस्तार करने के फैसले का विरोध करते हुए एक प्रस्ताव पारित किया था। इस दौरान एनसीयूआई के अध्यक्ष डॉ चंद्र पाल सिंह यादव ने सहकारी नेताओं के प्रतिनिधिमंडल के साथ मंत्री से मिलने की योजना बनाई थी।

सहकार भारती ने अपने पत्र में मंत्री को याद दिलाया था कि एनसीडीसी की स्थापना 1963 में संसद के एक अधिनियम द्वारा की गई थी, जो विशेष रूप से देश के सहकारी क्षेत्र के लिए सर्वोच्च वित्तीय और विकास संस्थान है।

पत्र में इस तथ्य की भी बात की गई थी कि निजी क्षेत्र को ऋण देने के लिए कई संस्थान हैं लेकिन सहकारी क्षेत्र के लिए कोई भी संस्था नहीं है और इसलिए सहकारी क्षेत्र पर विशेष रूप से ध्यान केंद्रित करने के लिए एनसीडीसी को बख्शा जाए।

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