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एनसीडीसी का साइबर रिस्क पर वेबिनार

गत सोमवार को एनसीडीसी और निडॉक ने “साइबर रिस्क और मिटीगेशन” विषय पर एक वेबिनार का आयोजन कियाजिसमें अन्य प्रतिष्ठित लोगों के अलावा एनसीडीसी के वरिष्ठ सलाहकार डॉ गुलशन राय भी मौजूद थे। डॉ राय हाल तक प्रधानमंत्री कार्यालय में साइबर सिक्योरिटी के चीफ थे।

इस वेबिनार में राय के अलावाआरबीआई बोर्ड के सदस्य सतीश मराठे और एनसीडीसी के प्रबंध निदेशक सुदीप नायक सहित कई गणमान्य लोगों ने भाग लिया जिसमें कोविड-19 प्रकोप के मद्देनजर साइबर सिक्योरिटी से संबंधित मुद्दों पर चर्चा की गई। 

एनसीडीसी ने भाग लेने के इच्छुक लोगों को आमंत्रण पत्र दिया था, जिसमें लिखा था, “यह निडॉक के सदस्यों और उनके सहयोगियों के लिए मुफ्त कार्यक्रम है। एएआरडीओ को भाग लेने के लिए विशेष रूप से आमंत्रित किया गया है।”

वेबिनार में भाग लेने को आसान बनाने के लिएएनसीडीसी एमडी ने बताया कि वेबिनार के लिए कैसे पंजीकृत किया जाए और कहा कि वेबिनार जूम वीडियो कॉन्फ्रेंस सॉफ्टवेयर पर आयोजित होगाजो स्मार्टफोनलैपटॉपडेस्कटॉप, आईपैडनोटबुक, आदि पर डाउनलोड और उपयोग करने में आसान है।

वेबिनार में यह विषय इसलिए चुना गया था क्योंकि संकट की घड़ी में सहकारी समितियां भी व्यवसाय को चालू रखने के लिए अधिक से अधिक इंटरनेट का उपयोग कर रही हैं और इसने रिस्क को बढ़ा दिया है। इसलिये सहकारी समितियों को साइबर खतरे से निपटने के लिए प्रशिक्षित किया जाना चाहिए, एनसीडीसी के एमडी ने कहा।

यह आम तौर पर देखा गया है कि आवश्यक संसाधन नहीं होने से सहकारी समितियां साइबर अपराधियों का शिकार होती रही हैं जो धोखा देने के लिए अपने नापाक मंसूबों को आसानी से अंजाम देते हैंवेबिनार में भाग लेने वाले विशेषज्ञों ने महसूस किया।

इस मौके पर डॉ गुलशन राय ने सहकारी समितियों/संस्थाओं को डिजिटल रूप से फ्रॉड करने वाले हैकर्स द्वारा अपनाए जाने वाले हथकंडों पर प्रकाश डाला। राय ने वेबिनार में उठाए गए सवालों का भी जवाब दिया।

पाठकों को याद होगा कि कैसे पुणे स्थित कॉसमॉस कोऑपरेटिव बैंक साइबर हैकर्स का शिकार हुआ था।

प्रतिभागियों में से एक ने कहा, “कॉस्मॉस बैंक एक बड़ा बैंक है और इस तरह आपको इस पर साइबर हमले के बारे में पता चलालेकिन कई छोटे को-ऑप बैंक हैंजो साइबर हमले का शिकार होते हैं लेकिन उनकी चर्चा नहीं होती है”।

एक प्रासंगिक वेबिनार के आयोजन के लिए एनसीडीसी के पहल की सराहना करते हुएसहकारी संचालकों को लगता है कि सहकारी समितियों को साइबर रिस्क के प्रति बड़े पैमाने पर संवेदनशील बनाने की तत्काल आवश्यकता है। उन्होंने कहा, “चाहे आप इंटरनेट को पसंद करते हों या नहीं लेकिन रोजमर्रा की जिंदगी का हिस्सा बन गया है और आप इसे जितनी चतुराई से संभाल सकें उतना ही बेहतर और सुरक्षित है।”

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