उत्तराखंड राज्य सहकारी बैंक के पदावनत एमडी दीपक कुमार ने उत्तराखंड सहकारिता सचिव द्वारा जारी आदेश पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि वह राज्य के सहकारी सचिव के समक्ष इस आदेश पर पुनर्विचार करने की अपील करेंगे।
गौरतलब है कि हाल ही में बैंक में कथित अनियमितताओं के चलते दीपक कुमार को उत्तराखंड राज्य सहकारी बैंक में एमडी से जीएम पद पर पदावनत किया गया था।
इस बीच, कुमार ने बैंक में कथित अनियमितताओं में शामिल होने से भी इनकार किया है और दावा किया कि उनके नेतृत्व में बैंक के व्यापार में उछाल आया है। “जब मैंने 3.5 साल पहले एमडी का कार्यभार संभाला था, तब बैंक का व्यवसाय मिश्रण 2500 करोड़ रुपये था, लेकिन अब व्यवसाय मिश्रण 4,250 करोड़ रुपये है। इसके अलावा, बैंक का शुद्ध लाभ 3.5 करोड़ रुपये था, लेकिन अब बैंक ने 15 करोड़ रुपये का शुद्ध लाभ अर्जित किया है”, कुमार ने दावा किया।
पूर्व एमडी और बैंक के कई अधिकारियों पर आरोप लगाते हुए, कुमार ने कहा, “मैं 2015 में बैंक में महाप्रबंधक के रूप में नियुक्त हुआ था और अप्रैल 2017 में एमडी के रूप में पदोन्नत किया गया था। एमडी के रूप में कार्यभार संभालने से पहले, पूर्व एमडी राजेंद्र शर्मा को कांग्रेस के शासन में 2 साल का विस्तार मिला था। विस्तार के खिलाफ मैंने उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था और न्यायालय ने आदेश पर रोक लगाता हुये मुझे एमडी बनने की अनुमति दी थी”।
“हालांकि, चमोली और टिहरी डीसीसीबी में अनियमितताओं के खिलाफ कई जांच हुयी, लेकिन मुझे इस संदर्भ में सहकारिता विभाग से क्लीन चिट मिली थी”, कुमार ने बताया।
सभी आरोपों का खंडन करते हुए दीपक कुमार ने कहा, मैं किसी भी अनियमितता में लिप्त नहीं रहा हूँ और सभी मीडिया रिपोर्ट मेरे खिलाफ निहित स्वार्थों द्वारा मनगढ़ंत झूठ पर आधारित और पक्षपातपूर्ण हैं। उन्होंने कहा कि नाबार्ड हर साल निरीक्षण करता है और लेखा-जोखा में हमारे बैंक को ‘ए’ ग्रेड मिलता रहा है।
ऋणकर्ताओं को फर्जी ऋणों को मंजूरी देने के मुद्दे पर कुमार ने कहा, “हमने किसी भी फर्जी ऋण को मंजूरी नहीं दी है और ऋण निर्धारित मानदंडों के तहत और संपार्श्विक आधार पर वितरित किए गए हैं। हम अपना बैंक बहुत सुचारू रूप से चला रहे हैं और हर साल लाभ कमा रहे हैं”, उन्होंने कहा।
इस बीच, कई सहकारी नेता इस बात से चकित है कि अगर कुमार को दोषी पाया गया है तो उन्हें पद से निलंबित क्यों नहीं किया गया है। क्या सहकारिता विभाग डिमोशन को एक नरम सजा मानता हैं?, उन्होंने पूछा।
वहीं कुमार के सहयोगियों का कहना है कि राज्य सहकारी बैंक के अध्यक्ष दान सिंह रावत और राज्य सहकारिता मंत्री धन सिंह रावत के बिगड़ते संबंधों के कारण कुमार के खिलाफ यह कार्रवाई की गई है।
कुमार इससे पहले टिहरी, चमोली और उत्तरकाशी सहित कई डीसीसीबी में महाप्रबंधक के रूप कार्य कर चुके हैं।
पाठकों को याद होगा कि पिछले सप्ताह कुमार को उनके पद से हटाया गया था और कुछ समय के लिये यह पद राज्य सहकारिता रजिस्ट्रार बीएम मिश्रा को सौंपा गया है। नए एमडी के चयन के लिए एक समिति का गठन किया गया है।