(पीएमसी) बैंक घोटाले के पीड़ित खाताधारकों की मदद करने की दिशा में केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास को एक पत्र लिखा है, जिसमें उन्होंने पीएमसी बैंक के डिफॉल्टरों के लिए विशेष ओटीएस योजना शुरू करने सहित कुछ विकल्प सुझाए हैं।
अपने पत्र में गडकरी लिखते हैं, ”मैं जमाकर्ताओं के दुख-दर्द से बहुत चिंतित हूँ और इसलिए बैंक के विभिन्न जमाकर्ताओं की मदद करने की दिशा में यह पत्र लिख रहा हूँ, जो बैंक में अपने स्वयं के खातों से अपनी जमा राशि वापस पाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं”।
“पीएमसी बैंक के इन जमाकर्ताओं के हितों की रक्षा के लिए, रिज़र्व बैंक को विभिन्न उपाय सुझाए जा सकते हैं, जैसे बैंक का एक मजबूत बैंक में विलय, बैंक के विलय के बजाय शाखा का विलय, जमाकर्ताओं के जमा के कुछ हिस्से का नवप्रवर्तनशील ऋण साधनों यानी आईपीडीआई में रूपांतरण, डिफॉल्टरों के मामलों के त्वरित निपटारे के लिए फास्ट ट्रैक अदालतों की स्थापना, आदि”, उनके पत्र में लिखा है।
पत्र में आगे लिखा है, “इसलिए मैं आपसे अनुरोध करता हूँ कि आप अपने कार्यालय को पीएमसी बैंक के डिफॉल्टरों के लिए एक विशेष ओटीएस योजना शुरू करने के लिए आवश्यक निर्देश जारी करें। इससे बैंक को एनपीए में बंद बकाया अग्रिमों को जारी करके अपनी लाभप्रदता और तरलता में सुधार करने में मदद मिलेगी और इस तरह इसके नुकसान का स्तर कम होगा। इसलिए मैं आपसे अनुरोध करता हूँ कि आप पीएमसी बैंक के जमाकर्ताओं के हितों की रक्षा के लिए उपरोक्त अनुरोध पर विचार करें”, गवर्नर को लिखे गये पत्र के अनुसार।
इस बीच शरद पवार की बेटी और महाराष्ट्र से सांसद सुप्रिया सुले भी संकटग्रस्त पीएमसी बैंक के जमाकर्ताओं के हित को बचाने में सक्रिय हैं। आठ महीने से अधिक का समय बीत चुका है, लेकिन जमाकर्ताओं को अपनी गाढ़ी कमाई वापस पाने के लिए दर दर भटकना पड़ रहा है और इस पृष्ठभूमि में सुले ने पीड़ितों के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से बैठक की।
इसके अलावा पीएमसी बैंक के लाखों पीड़ितों ने सोशल मीडिया पर एक अभियान चलाया है और बताया जा रहा है कि बैंक के 25 से अधिक जमाकर्ताओं की मृत्यु हो गई है। जमाकर्ताओं में से एक ने कहा, “लगता है, पीएमसी मामला अभी के लिए ठंडे बस्ते में है।”
पाठकों को याद होगा कि आरबीआई ने सितंबर 2019 में पीएमसी बैंक की बोर्ड को भंग कर दिया था। 31 मार्च, 2019 तक इसके कुल 8,383 करोड़ रुपये के ऋण का लगभग 70 प्रतिशत रियल एस्टेट फर्म एचडीआईएल द्वारा लिया गया था। बैंक के पास जमा राशि के रूप में 11,600 करोड़ रुपये थे।