छत्तीसगढ़ से सहकार भारती के नेता और भाजपा के राष्ट्रीय सहकारिता प्रकोष्ठ के सदस्य प्रीतपाल बेलचंदन ने भाजपा का दामन छोड़ा और उम्मीद है कि जल्द ही वे कांग्रेस में शामिल होंगे। बता दें कि बेलचंदन पहले ही सहकार भारती से इस्तीफा दे चुके हैं।
इस मुद्दे पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुये बेलचंदन ने कहा कि “राज्य में भाजपा ने अपने शासन के दौरान सहकारी अधिनियम में संशोधन करके सहकारी आंदोलन को कमजोर किया था।” लेकिन यह काफी अजीब है कि जब राज्य में बीजेपी सत्ता में थी और वह इसके सदस्य थे, तब उन्होंने सरकार के खिलाफ एक शब्द नहीं बोला था।
वर्तमान में, बेलचंदन दुर्ग डीसीसीबी के भी अध्यक्ष हैं।
बेलचंदन ने आरोपों का खंडन करते हुए कहा, “जब राज्य में भाजपा सरकार सत्ता में थी, हमने सहकारी आंदोलन को मजबूत करने के संबंध में पार्टी को सुझाव दिए थे, लेकिन भाजपा नेताओं ने इन सुझावों को गंभीरता से नहीं लिया। उन्होंने कहा कि पार्टी नेताओं के साथ आपसी मतभेद के कारण मेरे पास इस्तीफा देने के अलावा कोई विकल्प नहीं था।
उन्होंने भाजपा पर अपने वफादार कार्यकर्ताओं को महत्व नहीं देने का भी आरोप लगाया। इस बीच बेलचंदन के समर्थकों का कहना है कि हालांकि उनके नेता कांग्रेस में शामिल होने की योजना बना रहे हैं, लेकिन अभी कोई आधिकारिक घोषणा नहीं की।
बेलचंदन ने आगे कहा, “भाजपा शासन के दौरान मेरे खिलाफ कई जांच हुयी थी लेकिन मुझे किसी भी आरोप में दोषी नहीं पाया गया।मुझे क्लीन चिट मिली। इसलिए यह कहना गलत है कि जांच से डरकर मैंने पार्टी से इस्तीफा दिया।”
बेलचंदन पिछले 23 वर्षों से भाजपा के सदस्य हैं और लगातार चार बार दुर्ग डीसीसीबी के अध्यक्ष भी चुने गए हैं। वह भाजपा के राष्ट्रीय सहकारी सेल के सदस्य भी थे और दिल्ली में भाजपा मुख्यालय में होने वाली बैठकों में अक्सर देखे जाते थे।
बेलचंदन दुर्ग स्थित बहुउद्देश्यीय सहकारी – “श्री बलराम एग्रीकल्चर (प्रोड्यूस एंड मार्केटिंग) कोऑपरेटिव सोसाइटी” [एसबीएको] भी चलाते हैं, जो गलत कारणों से सुर्खियां में रही है।
राज्य में सरकार बदलने के समय ‘भारतीयसहकारिता’ ने एक लेख लिखा था कि कांग्रेस के शासन में बेलचंदन जैसे सहकारी नेता के लिए जीवन कितना कठिन होने वाला है। छत्तीसगढ़ के सहकारी नेताओं में से एक ने कहा, “उन्होंने एक चतुर चाल चली है और प्रचलित उक्ति का अनुसरण किया है कि “अगर आप किसी दुश्मन से लड़ नहीं सकते हैं, तो उससे हाथ मिला लो“।
देश में सहकारी आंदोलन को मजबूत बनाने के उद्देश्य से स्थापित संस्था सहकार भारती को आदर्श सहकारी समिति से जुड़े मुकेश मोदी और बेलचन्दन जैसे लोगों का समर्थन करने के लिए दोषी ठहराया गया है। सहकार भारती के वरिष्ठ नेताओं में से एक ने बेलचंदन के इस्तीफे पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि “अच्छा हुआ छुटकारा मिला।”