एनसीडीसी ने पिछले सप्ताह टिड्डी नियंत्रण पर एक इंटरैक्टिव वेबिनार का आयोजन किया जिसमें कई विशेषज्ञों ने बड़े पैमाने पर टिड्डियों द्वारा फसलों को नष्ट करने पर अपने विचार बखूबी प्रकट किये।
इस वेबिनार में उत्तर प्रदेश के उप मुख्यमंत्री दिनेश शर्मा ने भी भाग लेने की पुष्टि की थी लेकिन किसी कारणवश उपस्थित नहीं हो सके। हालांकि उन्होंने प्रतिभागियों के बीच अपना वीडियो संदेश साझा किया।
टिड्डी पर वेबिनार के आयोजन का विचार एनसीडीसी के एमडी सुदीप नायक का था। नायक ने अपने भाषण में प्रतिभागियों का स्वागत किया और कहा, “आज भारतीय किसानों को टिड्डियों के झुंड का सामना करना पड़ रहा है और उन्हें जागरूक करने की तत्काल आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि भारत में औसतन 94 प्रतिशत किसान किसी न किसी सहकारी समिति के सदस्य हैं।
यूपी के डिप्टी सीएम दिनेश शर्मा ने अपने वीडियो संदेश में कहा, “हमारी सरकार ने राज्य में टिड्डियों के झुंडों को नियंत्रित करने के लिए कई कदम उठाए हैं और किसानों के बीच जागरूकता पैदा की है। ये टिड्डियां फसलों को नष्ट करने की क्षमता रखती हैं। वर्तमान में, हम ट्रैक्टर में लगे छिड़काव यंत्रों (माउंटेड स्प्रेयर) के जरिये कीटनाशक छिड़काव कर रहे हैं ताकि टिड्डियों के प्रसार को रोका जा सके।
“इसके अलावा, हमने राज्य के किसानों के बीच जागरूकता अभियान भी चलाया है। यह देखा गया कि थाली, ढोल और नगाड़े बजाने से टिड्डियों को भगाने में मदद मिलती है”, उन्होंने कहा।
इस अवसर पर, विशेषज्ञों और सरकार के कई प्रतिनिधियों ने अपने विचार और सुझाव साझा किए।
मप्र सरकार के प्रधान सचिव (किसान कल्याण)– अजीत केसरी ने कहा कि सहकारिता टिड्डियों के प्रसार को नियंत्रित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है। एमपी में टिड्डी दल ने 17 मई को प्रवेश किया और भारत सरकार की एक टीम प्रभावित जिलों की टीमों के साथ हथियारों के रूप में पानी, शोर और रसायनों का उपयोग कर टिड्डियों से छुटकारा पाने के लिए प्रयासरत है।
“हमारी टीम हर दिन रात में स्प्रे करती है और टिड्डी को नियंत्रित करने के लिए अभी तक लगभग 7 हजार लीटर रसायन का छिड़काव किया गया है। हम अग्निशामक मशीनों से छिड़काव कर रहे हैं और ग्रामीणों से ढोल पीटने के लिए कह रहे हैं।”
भारत सरकार के कृषि आयुक्त डॉ एस के मल्होत्रा ने अपने मुख्य भाषण में कहा, ” पांच जिलों में 94,800 हेक्टेयर से अधिक क्षेत्र टिड्डियों के झुंड के हमले से प्रभावित हुआ है। हमने फसलों पर रासायनिक छिड़काव के लिए एडवाइजरी जारी की है और उन्हें नियंत्रित करने के लिए कई कदम उठाए हैं”।
“सहकारी संस्थाएं सरकार द्वारा आयोजित विभिन्न प्रशिक्षण कार्यक्रमों और सेमिनारों में भाग लेकर टिड्डियों के प्रसार को नियंत्रित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती हैं। वे ट्रेनर भी बन सकते हैं। टिड्डों की संख्या तीन महीनों में 20 गुना बढ़ सकती है और अंडे देने लायक हो सकती हैं”, उन्होंने प्रतिभागियों को सूचित किया।
इस बीच, उत्तर प्रदेश के सहकारी समितियों के रजिस्ट्रार, एस वी एस रंगा राव ने कहा, “राज्य में को-ऑप्स के माध्यम से किसानों में जागरूकता पैदा की जा रही है। हम खरीद केंद्रों, पैक्स और सहकारी बैंकों पर टिड्डियों के हमले के बारे में किसानों को जागरूक बनाने के लिए जगह-जगह बैनर लगाने की योजना बना रहे हैं। हम किसानों के बीच जागरूकता पैदा करने में विभिन्न को-ऑप्स के कर्मचारियों को भी शामिल करेंगे।
रोम के एफ़एओ के टिड्डी पूर्वानुमान विशेषज्ञ– कीथ क्रीसमैन ने भी अपने विचार साझा किए और कहा कि टिड्डियों के झुंडों के प्रसार के कारण अफ्रीका, यमन और पाकिस्तान सबसे अधिक प्रभावित हैं। किसान जैव कीटनाशकों, लहसुन और मिर्च के मिश्रण का छिड़काव कर सकते हैं, नीम और अन्य उपायों से उन्हें टिड्डियों से छुटकारा पाने में मदद मिल सकती है।
मुख्य वक्ता महलोत्रा ने इस अवसर पर प्रतिभागियों द्वारा उठाए गए सवालों के जवाब बेबाकी से दिए। नागपुर से सहकारी नेता मधुबाला साबू मॉडरेटर थीं।