विद्याधर अनास्कर के नाबार्ड द्वारा यूसीबी को नियंत्रित करने के विचार का सहकारी भारती ने जमकर विरोध किया। इस संदर्भ में सहकार भारती की कार्यकारी समिति ने रविवार को एक आपात बैठक बुलाई और इस विचार को सिरे से खारिज करते हुये एक प्रस्ताव पारित किया।
नाम न छापने की शर्त पर, सहकार भारती के वरिष्ठ नेताओं में से एक ने कहा, “हम नितिन गडकरीजी का समर्थन प्राप्त करके अनास्कर के शहरी सहकारी आंदोलन को हाईजैक करने के सभी प्रयासों को विफल कर देंगे।”
पाठकों को याद होगा कि हाल ही में अनास्कर ने एक वेबिनार का आयोजन किया था जिसमें केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी भी मौजूद थे। इस वेबिनार में यूसीबी पर आरबीआई के नहीं, बल्कि नाबार्ड के नियंत्रण के विचार पर चर्चा की गई थी। इस संदर्भ में गडकरी ने अनास्कर को एक नोट तैयार करने को कहा था और मंत्री ने इस मुद्दे को आरबीआई, केंद्रीय वित्त मंत्री या यहां तक कि प्रधानमंत्री के समक्ष उठाने का वादा किया था।
रमेश वैद्य की अध्यक्षता में हुयी सहकार भारती की बैठक में यह प्रस्ताव पारित किया गया कि “यूसीबी के एक वर्ग, विशेषकर महाराष्ट्र में यूसीबी के नियामक के रूप में नाबार्ड को नामित करने के प्रस्ताव के बारे में हालिया परिहार्य बहस सबसे अधिक दुर्भाग्यपूर्ण है।”
इस मुद्दे पर सहकार भारती द्वारा भारतीय सहकारिता को भेजे गए प्रेस नोट में लिखा था, “सहकार भारती इस प्रस्ताव को पूरी तरह से खारिज करती है और साथ ही सभी यूसीबी, एसोसिएशन और फैडरेशन को आह्वान करती है कि वे भी इस प्रस्ताव को खारिज करें।”
प्रेस विज्ञप्ति में आगे कहा गया, “जब संकट के समय में विकास और संकल्प के नए अवसरों का अनुमान लगाया जाता है तो संशोधन विधेयक के पारित होने के साथ ही, नियामक के रूप में नाबार्ड को नामित करने का प्रस्ताव सबसे अधिक अस्पष्ट और अनुचित है।” सहकार भारती इस प्रस्ताव को पूरी तरह से नकारती है और इसे खारिज करने के लिए सभी यूसीबी, एसोसिएशन और फेडरेशन को भी आह्वान करती है।
डॉ उदय जोशी, राष्ट्रीय महासचिव द्वारा हस्ताक्षरित इस नोट के अंत में लिखा है, “यह सर्वसम्मति से पारित प्रस्ताव है”।
दिलचस्प बात यह है कि बैठक में सहकार भारती के संरक्षक और नेफकॉब के अध्यक्ष ज्योतिंद्र मेहता भी उपस्थित थे। अनास्कर इसी निकाय नेफकॉब के उपाध्यक्ष हैं लेकिन दोनों इस मामले में स्पष्ट रूप से एकमत नहीं हैं।
अनास्कर के प्रस्ताव पर विभिन्न अन्य सहकारी संस्थाओं और व्यक्तिगत रूप से सहकारी नेताओं से भी प्रतिक्रियाएं आई हैं। वे सभी उनसे असहमत लग रहे हैं। ‘भारतीयसहकारीता” उनमें से प्रत्येक प्रीतिक्रिया को भी प्रकाशित करेगा।