खबर है कि एनसीसीटी के सचिव मोहन मिश्रा द्वारा मनमानी किए जाने के कारण पुणे स्थित प्रतिष्ठित सहकारी संस्थान वामनिकॉम के फैकल्टी और प्रबंधन काफी नाराज हैं। सूत्रों ने यह भी बताया कि इससे संस्था के वर्तमान डायरेक्टर डॉ के के त्रिपाठी अपने कार्यकाल के लिए कोई विस्तार नहीं मांग रहे हैं।
चूंकि एनसीयूआई से एनसीसीटी को अलग करने का मामला कोर्ट में चल रहा है। बता दें कि एनसीसीटी सहकारी प्रशिक्षण की सर्वोच्च निकाय है और नई व्यवस्था के मुताबिक इसके अध्यक्ष कोई और नहीं बल्कि केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर हैं। कहा जा रहा है कि मंत्रालय की आड़ में मिश्रा मनमानी कर रहे हैं।
हालांकि इस मुद्दे पर त्रिपाठी ने कोई टिप्पणी करने के इनकार किया है। इस बीच सूत्रों ने बताया कि कई मामलों में मिश्रा ने अनुचित रूप से हस्तक्षेप किया है।
त्रिपाठी ने बताया कि, “छह महीने पहले, निदेशक (सहकारिता) ने मेरे कार्यकाल के विस्तार पर मुझसे प्रतिक्रिया मांगी थी लेकिन मैंने कई कारणों से विस्तार देने के लिये मना किया था”, उन्होंने ‘भारतीयसहकारिता’ से बिना कारणों का खुलासा किये बताया।
वहीं नाम न छापने की शर्त पर एक संकाय सदस्य ने कहा, “कृषि मंत्री, जिन्हें किसानों की आय दोगुनी करने का बड़ा काम दिया गया है, वह वामनिकॉम की गतिविधियों में शामिल होने के लिए कितना समय निकाल सकते हैं? इस तथ्य पर इशारा करते हुए कि यह मंत्री की ही बेबसी है, जिसका लाभ एनसीसीटी सचिव मोहन मिश्रा उठा रहे हैं।
“मिश्रा ने वामनीकॉम से जुड़े कई मामलों में हस्तक्षेप किया है जैसे मंत्रालय वामनीकॉम के नाम पर फंड आवंटित करती है, बावजूद इसके एनसीसीटी अनुदान सहायता जारी करने की प्रक्रिया में देरी करता है। दरअसल, कई मौकों पर, हमारे निदेशक को फंड जारी करने के लिए मंत्रालय से हस्तक्षेप कराना पड़ा था- एक प्रक्रिया जो रूटीन में होनी चाहिए थी”, उन्होंने बताया।
एक अन्य उदाहरण देते हुए सूत्र ने कहा कि वामनिकॉम में व्याख्याता का कोई पद नहीं है, फिर भी एनसीसीटी सचिवालय ने मनमाने ढंग वामनिकॉम के निदेशक को बिना बताए आईसीएम, पुणे की एक महिला व्याख्याता को वामनिकॉम में स्थानांतरित कर दिया, जबकि निदेशक प्लेसमेंट कमेटी के अध्यक्ष हैं। “एनसीसीटी सचिव मोहन मिश्र को लगता है कि वामनिकॉम उनकी जागीर है”, उन्होंने कहा।
वामनीकॉम के निदेशक त्रिपाठी कृषि मंत्रालय के सचिव को इन मुद्दों से अवगत कराते रहे हैं। उन्होंने यह भी बताया कि एनसीसीटी कार्यालय भ्रामक निर्देश भेजता जिसे समझना वामनीकॉम प्रबंधन के लिए कठिन होता है।
दरअसल, एनसीसीटी के जरिए मिश्रा वामनिकॉम की प्रशासनिक और वित्तीय स्वायत्तता को धीरे-धीरे अपने कब्जे में लेने की कोशिश कर रहे हैं। अफसोस की बात यह है कि वह ऐसा सरकार की बिना मंजूरी के बिना वामनीकॉम के विकास को रोकने के लिए करते हैं”, सूत्रों ने रेखांकित किया।
उनके सक्रिय दृष्टिकोण के लिए त्रिपाठी की प्रशंसा करते हुए, संकाय सदस्यों में से एक ने कहा कि यह उनके प्रयासों का परिणाम था कि 19 वर्षों के अंतराल के बाद वामनिकॉम का वार्षिक रिपोर्ट प्रकाशित हो सका। उन्होंने कहा कि संस्थान के खराब बुनियादी ढांचे का नवीनीकरण किया गया है और नए प्रशिक्षण मॉड्यूल शुरू किए गए हैं।
उनको इस बात पर अफसोस है कि त्रिपाठी ने अगले कार्यकाल के लिए विस्तार से इनकार कर दिया है और उलझन की स्थिति पैदा करने के लिए एनसीसीटी सचिव पर आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि इस स्थिति में कोई सुलझा हुआ अधिकारी ठीक से काम नहीं कर सकता है।