इफको ने आईसीएआर संस्थानों और कृषि विज्ञान केंद्रों (केवीके) के माध्यम से विभिन्न उत्पादों के सहयोगात्मक अनुसंधान, परीक्षण और सत्यापन के लिए आईसीएआर के साथ एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किया, इफको की ओर से जारी प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार।
इस समझौते से आईसीएआर के संस्थान और कृषि विज्ञान केन्द्र (केवीके) किसानों के लाभ के लिये जागरूकता कार्यक्रम, अभियान, क्षेत्र परीक्षण और प्रदर्शन के माध्यम से प्रशिक्षण प्रदान करके तकनीकी प्रगति का प्रसार करने में सक्षम होंगे।
आईसीएआर परिसर में आयोजित कार्यक्रम में, वैज्ञानिक वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से मौजूद थे। डॉ ए के सिंह- डीडीजी, आईसीएआर ने एमओयू की पृष्ठभूमि का संक्षिप्त विवरण दिया। डॉ टी महापात्र – सचिव डीएआरई और डीजी आईसीएआर, डॉ यू एस अवस्थी – प्रबंध निदेशक इफको, श्री योगेंद्र कुमार– विपणन निदेशक, इफको, डॉ मल्होत्रा– आयुक्त कृषि, डॉ किमोठी– एडीजी (समन्वयन), निदेशक एटीएआरआई और केवीके के प्रतिनिधि भी उपस्थित थे।
आईसीएआर परिसर में मौजूद इफको के विपणन निदेशक योगेंद्र कुमार ने बताया कि समझौता ज्ञापन तीव्र गति से नवीन उत्पादों के परीक्षण, सत्यापन और प्रसार में मदद करेगा जिससे किसानों को लाभ होगा। उन्होंने कहा कि आईसीएआर के साथ विस्तृत चर्चा के बाद वह कार्रवाई की योजना बनाएंगे।
डॉ टी महापात्र– सचिव ने सत्र की अध्यक्षता की और उल्लेख किया कि यह एक ऐतिहासिक क्षण है। उन्होंने जोर दिया कि सहयोगी अनुसंधान और विस्तार के साथ, हम उर्वरक की खपत को 15% तक कम कर सकते हैं, जो कृषि और किसान समुदाय के लिए एक महत्वपूर्ण योगदान होगा।
इफको के प्रबंध निदेशक डॉ. उदय शंकर अवस्थी ने इस मौके पर कृषि के क्षेत्र में शानदार उपलब्धियों के लिये आईसीएआर की प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि उद्योग के साथ शोध सहयोगात्मक होना चाहिये। इससे दोनों संगठनों के उन्नत प्रतिभाओं के योगदान से प्रयोगशालाओं के मध्य प्रौद्योगिकी के प्रसार में मदद मिलेगी।
इस प्रगति पर एमडी ने ट्वीट किया कि, “खुशी है कि आज इफको ने देश भर में सहयोगी अनुसंधान, परीक्षण और विस्तार के लिए आईसीएआर इंडिया के साथ समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए। किसानों के लिए अधिक नवाचार और प्रौद्योगिकी हस्तांतरण। 2022 तक किसानों की आय को दोगुना करने के लिए एक सहयोगी कदम, हमारे पीएम का विजन”।
एमओयू के बारे में बात करते हुए अवस्थी ने कहा, “‘प्रौद्योगिकी के प्रभावी उपयोग से रासायनिक उर्वरक की खपत को कम करके किसानों की सेवा करना ही इस पहल का अंतिम उद्देश्य है। हम मृदा को रसायनमुक्त करने के लिये काम कर रहे हैं। रसायन मृदा को असंतुलित करते हैं और उसके स्वास्थ्य के लिए अनुपयुक्त होते हैं। इन उपक्रमों को आईसीएआर समर्थन और प्रोत्साहन देगा।’’