आखिर में आर्बिट्रेटर ने एनसीयूआई के निर्वाचन क्षेत्रों के पुनर्गठन मामले पर अपना फैसला सुनाया और इसके साथ ही एनसीयूआई चुनाव का रास्ता साफ हो गया है। सूत्रों की मानें तो एनसीयूआई के अध्यक्ष चंद्रपाल सिंह यादव और केंद्रीय कृषि राज्यमंत्री पुरुषोत्तम रूपाला के बीच चुनाव को लेकर बैठक हो चुकी है।
आर्बिट्रेटर श्रीमती वृत्ति आनंद ने पिछले शुक्रवार को मामले का निपटारा किया। पाठकों को याद होगा कि अभियोगी के शिकायत वापस लेने के बाद इस मामले में प्रतिवादी (एनसीयूआई) ने सहमति व्यक्त की।
जानकारी के मुताबिक, आर्बिट्रेटर ने अपने फैसले की कॉपी केंद्रीय रजिस्टर को भेजी है, जो इस मामले पर अंतिम निर्णय लेंगे। उम्मीद है कि केंद्रीय रजिस्ट्रार जल्द ही एनसीयूआई के चुनाव की तारीखों का ऐलान करेंगे।
इस बीच मतदाता सूची और अन्य चीजों को तैयार करने के अलावा, सहकारी संस्थाओं की शीर्ष संस्था एनसीयूआई के अध्यक्ष के लिये एक सर्वसम्मत उम्मीदवार तय करने की चुनौती न केवल सहकारी नेताओं के लिए बल्कि मंत्रालय के लिए भी परेशानी बनी हुयी है।
कहा जा रहा है कि इस मामले में कृषि मंत्रालय खास रुचि दिखा रहा है क्योंकि इस बारे में केंद्रीय कृषि राज्यमंत्री पुरुषोत्तम रूपाला और निवर्तमान अध्यक्ष के बीच बैठक भी हुई है।
हालांकि केंद्र की भाजपा सरकार अपनी पसंद के उम्मीदवार को संस्था की कमान सौंपने के लिए उत्सुक है और यह एनसीयूआई के लिए पहला अवसर होगा जब कोई भाजपाई एनसीयूआई के अध्यक्ष के रूप में पदभार संभालेगा। अब तक एनसीयूआई का नेतृत्व कांग्रेसियों या अन्य राजनीतिक दलों से जुड़े सहकारी नेताओं द्वारा किया गया है। यहां तक कि वर्तमान अध्यक्ष चंद्र पाल सिंह यादव समाजवादी पार्टी से हैं और राज्यसभा सदस्य हैं।
उम्मीद है कि पहली बार भाजपा से जुड़े नेता एनसीयूआई की सत्ता संभालेंगे, एक बीजेपी नेता ने कहा।
वहीं भारतीय सहकारिता से बातचीत में कई सहकारी नेताओं इस बात पर अपनी सहमति नहीं व्यक्त की और कहा कि सहकारिता में तुम कौन सी पार्टी से ताल्लुक रखते है वो महत्व नहीं रखता। उन्होंने कहा, “देश में ऐसे कई उदाहरण हैं, जहां आप एक बीजेपी के अध्यक्ष को कांग्रेस उपाध्यक्ष के साथ समन्वय करके सहकारिता को सफलतापूर्वक चलाते हुए देख सकते हैं।”
सूत्रों के अनुसार, आर्बिट्रेटर के फीस के मुद्दे को सुलझा लिया गया है। अपने फैसले में आर्बिट्रेटर ने कहा कि फीस का भुगतान शिकायतकर्ता और उत्तरदाताओं दोनों पक्षों द्वारा किया जाना है।
सूत्रों ने दावा किया कि शिकायतकर्ता (इस मामले में अशोक डबास) ने आर्बिट्रेटर को लिखित आश्वासन दिया है कि यदि उत्तरदाता फीस का भुगतान नहीं करते तो वे फीस का भुगतान करेंगे।