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खरीफ बुवाई के मौसम के दौरान कृषक समुदाय को उर्वरकों की पर्याप्त आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए केंद्रीय रसायन और उर्वरक मंत्री डी वी सदानंद गौड़ा ने वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से उर्वरक उद्योग के हितधारकों के साथ बैठक की। इस बैठक में इफको और कृभको के प्रतिनिधि भी मौजूद थे।
गौड़ा ने वादा किया कि सरकार उर्वरक उद्योग में मजदूरों की कमी की चुनौतियों से निपटने में मदद करेगी।
इस अवसर पर गौड़ा ने कोरोना महामारी के प्रतिकूल प्रभाव को कम करने में सरकार के साथ सहयोग करने के लिए उद्योग जगत के हस्तियों को धन्यवाद दिया। गौड़ा ने कहा कि मंत्रालय ने यह सुनिश्चित किया है कि आगामी खरीफ फसल के लिए उर्वरक की उपलब्धता पर्याप्त रहे।
इफको के संयुक्त एमडी राकेश कपूर ने बैठक में भाग लिया। हालांकि कृभको के प्रतिनिधि के बारे में जानकारी इकट्ठा करने में भारतीय सहकारिता के प्रयास विफल रहे।
उन्होंने कहा कि हम इस साल अच्छे मानसून सीजन की उम्मीद कर सकते हैं। उन्होंने जोर देते हुए कहा कि उर्वरकों की मांग इस साल भी उच्च स्तर पर बनी रह सकती है। पिछले साल की तुलना में इस साल अप्रैल, मई और जून के महीनों में यूरिया और पीएंडके खाद- दोनों की डीबीटी बिक्री अधिक रही है।
हालांकि, उन्होंने खरीफ मौसम के दौरान यूरिया की आवश्यकता 170 लाख मीट्रिक टन है, जबकि लगभग 133 लाख टन उत्पादन की सम्भावना है। इस कमी की भरपाई के लिए यूरिया का आयात किया जायेगा।
उर्वरकों की सब्सिडी के मुद्दे पर गौड़ा ने कहा कि विभाग ने पीएंडके उर्वरकों के लिए पोषक तत्वों पर आधारित सब्सिडी के निर्धारण के लिए अपेक्षित अनुमोदन प्राप्त करने में शीघ्रता दिखाई। मंजूरी नहीं मिलने से सब्सिडी गणना के बारे में अनिश्चितता बनी रहती और इससे उत्पादन पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता था।
उन्होंने कहा, विभाग द्वारा लंबित सब्सिडी बिलों के भुगतान में देरी के कारण उर्वरक कंपनियों को हुई कठिनाई से हम पूरी तरह से अवगत हैं। हम मुद्दों को हल करने के लिए वित्त मंत्रालय के साथ काम कर रहे हैं।