पुणे स्थित रुपी को-ऑपरेटिव बैंक ने एक प्रेस विज्ञप्ति जारी कर बताया कि कठिनाइयों के बावजूद बैंक ने 19.55 करोड़ रुपये का लाभ कमाया है। कहा जा रहा है कि कर्मचारियों की संख्या में भारी कमी साथ ही प्रशासनिक खर्चों में कटौती के कारण ही संकटग्रस्त रुपी सहकारी बैंक लाभ अर्जित करने में सफल रहा है।
बैंक ने कुल 15.40 करोड़ रुपये की वसूली की है। बैंक का कुल डिपॉजिट 1,289.72 करोड़ रुपये और ऋण 298.50 करोड़ रुपये का है। रुपी सहकारी बैंक के लगभग 5 लाख जमाकर्ता हैं और 35 शाखाओं का नेटवर्क है।
बोर्ड ऑफ एडमिनिस्ट्रेटर्स के अध्यक्ष सुधीर पंडित द्वारा जारी एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया है कि बैंक का विलय जल्द ही महाराष्ट्र राज्य सहकारी बैंक में होने की उम्मीद है।
इस बीच, एमएससी बैंक के प्रशासनिक बोर्ड के अध्यक्ष विद्याधर अनास्कर ने पहले पुष्टि की थी कि महाराष्ट्र राज्य सहकारी बैंक (एमएससीबी) के साथ रुपी बैंक के विलय का प्रस्ताव आरबीआई को भेजा गया है और हम आरबीआई की प्रतिक्रिया का इंतजार कर रहे हैं।
अनास्कर ने कहा, “आरबीआई ने हमें महाराष्ट्र राज्य सहकारी बैंक की वित्तीय स्थिति प्रस्तुत करने को कहा था और हमने उन्हें 31 मार्च तक अपने वित्तीय विवरण भेज दिया है”। हालांकि, विलय प्रस्ताव पर आरबीआई अभी चुप्पी साधे हुये है।
इससे पहले, महाराष्ट्र सरकार ने एमएससी बैंक के प्रबंधन के साथ विलय के प्रस्ताव पर विचार करने के लिए आरबीआई से संपर्क किया था। तत्कालीन भाजपा सरकार ने इस मुद्दे को सुलझाने और लाखों असहाय जमाकर्ताओं की मदद करने के लिए एक गंभीर कदम उठाया था।
अनिश्चितता के बीच, आरबीआई ने यूसीबी पर जारी दिशा-निर्देशों को 01 जून, 2020 से लेकर 31 अगस्त, 2020 तक तीन महीने की अवधि के लिए बढ़ा दिया है।
कुछ दिनों पहले जारी अधिसूचना में, आरबीआई का कहना है कि संदर्भ के तहत निर्देशों के अन्य सभी नियम और शर्तें अपरिवर्तित रहेंगी। पुणे स्थित रुपी सहकारी बैंक 22 फरवरी, 2013 से आरबीआई के दिशा-निर्देशों के अधीन है। समय-समय पर निर्देशों की वैधता बढ़ाई गई थी।
‘भारतीयसहकारिता’ को ज्ञात हुआ है कि एमएससी बैंक के साथ रुपी बैंक के विलय का प्रस्ताव लगभग एक साल से आरबीआई के गलियारों में धूल फांक रहा है। हालाँकि आरबीआई बार-बार यूसीबी को एक्सटेंशन देता है, लेकिन इसके विलय पर अभी तक कोई विचार नहीं किया है।
एमएससी बैंक के शीर्ष आधिकारिक सूत्रों ने कहा, “अभी तक शीर्ष बैंक आरबीआई से हमें रुपे बैंक को अधिगृहीत करने की मंजूरी नहीं मिली है और मामला अभी भी विचाराधीन है”।