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मत्स्य सहकारी संस्थाओं की शीर्ष संस्था फिशकोफेड ने प्रधानमंत्री मत्स्य सम्पदा योजना (पीएमएमएसवाई) के तहत भारत सरकार के मत्स्य विभाग को दस वर्षीय विजन प्लान प्रस्तुत किया है और मत्स्य क्षेत्र के विकास हेतु पांच साल के लिए 300 करोड़ रुपये के पैकेज की मांग की है।
“भारतीयसहकारिता” से बात करते हुए फिशकोफेड के एम डी बी के मिश्रा ने कहा कि हमने पीएमएमएसवाई के तहत वित्त पोषण के लिए भारत सरकार के मत्स्य पालन विभाग को 10 वर्षीय विजन प्लान प्रस्तुत किया है। अब दिशा-निर्देश तैयार हैं लेकिन फंड का दिया जाना अभी बाकी है”।
अपनी पांच साल की योजनाओं को साझा करते हुए उन्होंने कहा, “हम अन्य बातों के अलावा, मत्स्य क्षेत्र में 500 एफपीओ खोलने का लक्ष्य रखा है। मछली पालन से जुड़े किसानों को किसान क्रेडिट कार्ड देंगे और मत्स्य पालन विकास के लिए भारत के आकांक्षी जिलों में काम करेंगे”।
पाठकों को याद होगा कि मई 2020 में कैबिनेट ने मत्स्य पालन क्षेत्र में अब तक का सबसे अधिक 20,050 करोड़ रुपये के निवेश वाली “प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना” को मंजूरी दी थी, जिसमें 9407 करोड़ रुपये का केंद्रीय हिस्सा, 4876 करोड़ रुपये का राज्य का हिस्सा और 5763 करोड़ रुपये का लाभार्थियों का योगदान है।
मिश्रा ने आगे कहा, “यदि राज्य मछुआरों का डेटा प्रदान करते हैं तो 10 मिलियन से अधिक मछुआरों को बीमा किया किया जा सकता है। पीएमएसबीवाई के तहत लगभग 21000 एफ़सीएस और 42 लाख से अधिक मछुआरों का डेटाबेस प्राप्त हुआ है। 10,000 से अधिक मछुआरों को प्रशिक्षण दिया गया है”, उन्होंने कहा।
“इसे हर साल 50,000 मछुआरों तक बढ़ाया जा सकता है। बीबीएसआर में इसका एक पूर्ण विकसित प्रशिक्षण केंद्र है जिसे “राष्ट्रीय मत्स्य सहकारी प्रबंधन संस्थान” के रूप में विकसित किया जा सकता है। राजस्थान के बांसवाड़ा में “राष्ट्रीय मछली बीज फार्म विकसित” किया जा रहा है। मत्स्य क्षेत्र में 16 एक्वा वन केंद्र स्थापित करेंगे”।
उन्होंने आगे कहा कि, “फिशकोफेड के विभिन्न राज्यों में 9 कार्यालय हैं और सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के साथ नेटवर्किंग है।यह लगभग 30 लाख मछुआरों को कवर कर रहा है, हमारे पास 10 वर्षों में 10 मिलियन मछुआरों को कवर करने और नाव बीमा का प्रस्ताव करने की महत्वाकांक्षी योजना है”, मिश्रा ने कहा।
“कोरोना के भय के कारण, कोई प्रशिक्षण आयोजित नहीं किया जा रहा है। फिश्कोफेड अपने आप को बनाए रखने के तरीके विकसित कर रहा है। भारत सरकार को नीली क्रांति के तहत लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए मत्स्य सहकारी समितियों को बढ़ावा देना चाहिए।”
“हालांकि प्रशिक्षण गतिविधियों के लिए फिशकोप्ड को दिया गया कॉर्पस फंड कोविड –19 के कारण अटका हुआ है, लेकिन वर्तमान स्थिति में कोई व्यवसाय नहीं चल रहा है और राष्ट्रीय और राज्य कार्यालयों को चलाना फिशकोफेड के लिए एक चुनौती बन गया है।यहां तक कि हमारे दो कर्मचारियों की मौत कोरोनोवायरस के कारण हुई”, उन्होंने अफसोस प्रकट किया।
इससे पहले, मछुआरों के लिए 20 हजार करोड़ रुपये के बजट की घोषणा करने के लिए केंद्रीय वित्त मंत्री को धन्यवाद देते हुए, उन्होंने नावों का बीमा करने के लिए फिश्कोफेड को एक नोडल एजेंसी के रूप में स्थापित करने की इच्छा दिखाई।
पाठकों को याद होगा कि 2017-18 के दौरान आउटलुक का “सर्वश्रेष्ठ राष्ट्रीय महासंघ पुरस्कार” फिश्कोफेड को पूर्व केंद्रीय कृषि मंत्री द्वारा दिया गया था और 2018-19 के दौरान इसे नोडल मंत्रालय से स्वछता पुरस्कार भी मिला था।
एमडी को उनके उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए अंतर्राष्ट्रीय सहकारी मत्स्य संगठन (आईसीएफ़ओ) द्वारा पहले ही सम्मानित किया जा चुका है। इसके अलावा, संघ शुरू से ही “ए” ग्रेड ऑडिट वर्गीकरण प्राप्त करता रहा है।