एक अनौपचारिक बातचीत के दौरान इफको के एमडी डॉ यूएस अवस्थी ने बताया कि खेतों तक नैनो उर्वरकों का पहुँचना उनके सेवाकाल की सर्वोत्कृष्ट उपलब्धि होगी। श्री अवस्थी की ये बात मास्लो के “हाइरार्की ऑफ नीड” के सिद्धांत को चरितार्थ करती है। और शायद बिना किसी तैयारी के हो रहे संवाद के कारण उनका ये सुसुप्त चिंतन इस संवाददाता के सामने उभर कर आया।
नैनो के बारे में विस्तार से बताते हुए अवस्थी ने कहा, “जो खेती आप आज देखते हैं, आगे उसका स्वरूप ऐसा नहीं रहेगा क्योंकि खेतों में नैनो का पहुँचना एक ‘प्रतिमान विस्थापन’ (पैराडाइम शिफ्ट) के समान होगा”।
नैनो के लिए वैश्विक पेटेंट हासिल करने के बाद, भारत दुनिया में नैनो उर्वरक का उत्पादन करने वाला पहला देश होगा। दिलचस्प खुलासा करते हुये श्री अवस्थी ने बताया कि नैनो न केवल भारतीय कृषि बल्कि दुनिया भर के कृषि को प्रभावित करने वाला है। यह एक नवीन विचार है, जिसकी चर्चा प्रायः हर क्षेत्र के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी करते रहे हैं ताकि देश के लोगों के जीवन में सुधार हो, एमडी ने कहा।
आईआईटी-बीएचयू से केमिकल इंजीनियरिंग में स्नातक- अवस्थी यादों के गलियारों में गोता लगाते हुए बोले कि इफको के साथ काम करने का निर्णय उनके लिए आकस्मिक नहीं था। “यह एक सुविचारित निर्णय था क्योंकि मुझे पता था कि मुझे यहाँ मानव जाति की व्यापक सेवा करने का मौका मिलेगा। इफको में मानव जीवन को प्रभावित करने की क्षमता है और साथ ही यहाँ काम करने वाले के पास अपनी क्षमता के पूर्ण विकास का अवसर था और है”। बातचीत की इस बिंदु पर अवस्थी लगभग मास्लो के विचारों को दोहरा रहे थे। मास्लो का मानना है कि मनुष्य की अंतिम आवश्यकता अपनी क्षमता का पूर्ण विकास है।
“इसके अलावा, जब से मैं इफको में आया हूँ, मैंने पुरस्कार समारोह में जाना पसंद नहीं किया। किसी ऐसे समारोह में गये अब कई साल हो गए हैं, हालांकि संगठन और संस्थान मुझे किसी न किसी पुरस्कार के लिए नामित करते रहते हैं”, अवस्थी ने कहा। “भावी पीढ़ी के लाभ के लिए खेतों और किसानों को नैनो सौंपने के मेरे सपने को साकार करना मेरा सर्वोच्च पुरस्कार होगा”, उन्होंने आगे कहा।
एक प्रश्न, कि कब उनका सपना वास्तव में साकार होगा, के जवाब में इफको एमडी ने कहा “मुझे पता है कि देश भर के किसान अपने खेतों में इफको नैनो प्रौद्योगिकी आधारित उत्पादों का परीक्षण नतीजे की प्रतीक्षा कर रहे हैं। मुझे विश्वास है कि अगले खरीफ मौसम तक किसान बड़े पैमाने पर इनका उपयोग कर पायेगे”। बता दें कि एमडी फील्ड ट्रायल के दौरान नैनो की प्रगति दिखाने वाली तस्वीरें आये दिन ट्वीट करते रहते हैं। उन्होंने हाल ही में हरियाणा के सिरसा के एक गाँव से ऐसी ही कुछ तस्वीरें ट्वीट की थी।
कहा जा रहा है कि ये नैनो उत्पाद पारंपरिक नाइट्रोजन रासायनिक उर्वरकों की आवश्यकता को 50% तक कम कर देंगे, पौधे को पर्यावरण के अनुकूल तरीके से पोषण देंगे और किसानों को कम मूल्य पर उपलब्ध होंगे।
इस बीच, फील्ड परीक्षणों के लिए लॉन्च किए गए नैनो उर्वरकों की रेंज का देश के विभिन्न हिस्सों से उत्साहजनक परिणाम आ रहा है। इन उत्पादों को देश भर के कई स्थानों से एक साथ लॉन्च किया गया था।
कलोल यूनिट की इफको नैनो बायोटेक्नोलॉजी रिसर्च सेंटर (एनबीआरसी) में स्वदेशी रूप से नैनो उत्पादों पर शोध और विकास किया गया है। हाल ही में, इफको ने अपनी आंवोला इकाई में एक और नैनो लैब शुरू की है।
इफको ने इस साल मई में आईएआरआई, पूसा, नई दिल्ली में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के साथ एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए। एमओयू से नैनो उर्वरकों के क्षेत्र में अनुसंधान का एक अभूतपूर्व अवसर मिलेगा, जिसमें उच्च-अवशोषण दर, उपयोग प्रभावकारिता और पौधों के न्यूनतम नुकसान वाले पोषक तत्वों के केंद्रित स्रोतों को विकसित करना शामिल है।