कोरोना वायरस से प्रभावित लोगों की मदद करने की दिशा में गुजरात के सहकारी बैंकों ने राज्य सरकार के साथ कंधे से कंधा मिलाकर अद्भुत कार्य किया है।
राज्य के सहकारी बैंकों ने “आत्मनिर्भर गुजरात सहाय योजना” के तहत 56,201 लोगों को 594 करोड़ रुपये का ऋण बांटकर एक कीर्तिमान स्थापित किया है।
इस उत्कृष्ट कार्य के लिये कई अर्बन कॉपरेटिव बैंकों, जिला सहकारी बैंकों और क्रेडिट को-ऑपरेटिव सोसायटी की भूरि-भूरि प्रशंसा हो रही है।
दिलचस्प बात यह है कि इन सहकारी ऋण संस्थानों ने केवल 42 दिन में बहुत बड़ा कार्य सम्पन्न किया है। हर दिन 8 कार्य घंटों के हिसाब से इन संस्थानो ने हर मिनट में 3 ऋण स्वीकृत किए हैं।
पाठकों को याद होगा कि गुजरात सरकार ने मध्यम वर्ग और निम्न मध्यम वर्ग, जिसे कोरोना महामारी के कारण भारी नुकसान उठाना पड़ा था, के लोगों के लाभ के लिए “आत्मनिर्भर गुजरात सहाय योजना” शुरू की थी और हमने इस योजना के बारे में विस्तार से बताया था।
इस योजना के तहत बिना किसी कोलेटरल के सरल शर्तों पर 2.50 लाख रुपये तक का ऋण दिया गया। यह योजना केवल सहकारी क्षेत्र के लिए थी।
सहकारी ऋण संस्थानों ने 8 जून से गरीब और मध्यम वर्ग को ऋण देना शुरू किया।
यदि कोई बैंक प्रतिदिन 8 घंटे काम करता है और केवल 42 दिनों में 56,201 लोगों को ऋण बंटता है तो इसका मतलब है कि इन संस्थानों ने मिलकर हर मिनट में 3 ऋण बांटे हैं। यह एक अभूतपूर्व कार्य है।
इस प्रगति पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए, राज्य के दिग्गज सहकारी नेता ज्योतिंद्र मेहता ने कहा कि यह निश्चित रूप से सहकारी क्षेत्र के लिए गर्व की बात है। गरीबों और मध्यम वर्ग के लोगों के लिये काम करने वाले सहकारी बैंकों ने उन्हें और मजबूत बनाने का काम किया है, मेहता ने कहा जो नेफकॉब के अध्यक्ष हैं।
यह आश्चर्य की बात नहीं है कि राजकोट नागरिक सहकारी बैंक (जिसके साथ मेहता जुड़े हुए हैं) ने 10,104 लोगों को 106.74 करोड़ रुपये का ऋण वितरित किया। वहीं वरछा सहकारी बैंक ने 5276 लोगों को 43 करोड़ रुपए का ऋण बांटकर राज्य में दूसरा स्थान प्राप्त किया।