कर्नाटक में कई सहकारी समितियों ने प्रशासकों की नियुक्ति के खिलाफ कर्नाटक उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है, जिनके निदेशक मंडल का कार्यकाल समाप्त हो गया है।
बता दें कि कोविड-19 के मद्देनजर राज्य की कई सहकारी समितियों का चुनाव लंबित है और राज्य सरकार ने इन समितियों में प्रशासक नियुक्त करने को लेकर आदेश जारी कर दिया है।
इस आदेश के खिलाफ कई सहकारी समितियों ने व्यक्तिगत रूप से याचिका दायर की है और उनमें से कई संस्थाएं अदालत से अंतरिम रोक प्राप्त करने में सफल रही हैं। हालांकि कई मामलों में अभी भी सुनवाई जारी है।
दिलचस्प बात यह है कि कर्नाटक राज्य अपेक्स सहकारी बैंक उच्च न्यायालय से अंतरिम रोक पाने में सफल रहा है। बैंक के एक शीर्ष अधिकारी ने ‘भारतीयसहकारिता’ से कहा कि अनुभवी सहकारी नेता और बैंक के अध्यक्ष के एन राजन्ना ने व्यक्तिगत रुचि लेते हुये सरकार की अधिसूचना के खिलाफ अदालत में याचिका दायर की थी।
कर्नाटक राज्य एपेक्स कोऑपरेटिव बैंक के निदेशक मण्डल का कार्यकाल 1 अगस्त 2020 को समाप्त हो चुका है और माननीय अदालत ने कार्यकाल पूरा होने से ठीक पहले मामले पर अंतरिम रोक लगा दी है। हालांकि अभी अंतिम फैसला आना बाकी है। अगली सुनवाई 10 अगस्त 2020 को होगी।
इसके अलावा, कर्नाटक में बेलगाम, तुमकर, मांड्या डी
इन बैंकों के प्रबंधन ने भी उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है और अच्छी बात यह है कि याचिका स्वीकृत हो गई है और इन मामलों में सुनवाई चल रही है।
इस बीच, दक्षिण कन्नड़ जनता थोक सहकारी जैसे को-ऑप निकायों को मामले में अंतरिम रोक प्राप्त करने में सफलता मिली है।
इस बीच अधिकांश सहकारी नेताओं का आरोप है कि राज्य की बीजेपी सरकार अपनी ही पार्टी के लोगों की बात सुनने को तैयार नहीं है। उनमें से एक ने ‘भारतीयसहकारिता’ से कहा कि भाजपा के कई हाई-प्रोफाइल सहकारी नेताओं ने इस संबंध में कर्नाटक के सहकारिता मंत्री एस टी सोमशेखर को समझाने का प्रयास किया, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ।
इन सहकारी नेताओं ने महसूस किया कि कर्नाटक की भाजपा सरकार को कई अन्य राज्यों से सीख लेनी चाहिए जहाँ सरकारों ने निदेशक मंडल को चुनाव न होने तक अपने पद पर बने रहने की अनुमति दी है।
पाठकों को याद होगा कि गत जुलाई माह के मध्य में, कर्नाटक सरकार ने 31 दिसंबर तक सहकारी समितियों के चुनाव स्थगित करने की अधिसूचना जारी की थी और कार्यकाल समाप्त होने के बाद निदेशक मंडल को उनके पद पर बने रहने से रोक दिया था।
जानकारी के मुताबिक, राज्य में 264 यूसीबी हैं, जिनमें से 20 यूसीबी के निदेशक मंडल का कार्यकाल पूरा होने वाला है।