केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने पिछले सप्ताह मुख्यमंत्रियों व राज्यों के कृषि मंत्रियों के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से बातचीत की। इस दौरान तोमर ने कहा कि एक लाख करोड़ रुपये के कृषि इंफ्रास्ट्रक्चर फंड से देश के 85 प्रतिशत से ज्यादा छोटे व मझौले किसानों तक पूरा फायदा पहुंचना जरूरी है।
तोमर ने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा लाए गए नए अध्यादेश पूरी तरह से किसान हितैषी हैं, न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) को लेकर भी गुमराह नहीं होना चाहिए और किसानों से एमएसपी पर उपज की खरीद पूर्व की तरह जारी रहेगी।
राज्यों के मुख्यमंत्रियों व मंत्रियों ने इस दौरान कहा कि किसानों की भलाई के लिए एक लाख करोड़ रुपये के फंड का उपयोग करने में वे कोई कसर नहीं छोड़ेंगे और गांव-गांव में इंफ्रास्ट्रक्चर खड़ा करेंगे – पीआईबी द्वारा जारी प्रेस विज्ञप्ति के मुताबिक।
इस बीच मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि प्रदेश सरकार इस फंड का पूरा उपयोग करेगी व किसानों की आय दोगुनी करने में कोई कसर नहीं छोड़ेगी। राज्य स्तरीय मॉनिटरिंग कमेटी बना ली गई है। केंद्र की नई स्कीम के तहत एफपीओ के गठन को भी राज्य सरकार आंदोलन के रूप में ले रही हैं।
इनके माध्यम से फंड के सदुपयोग के लिए प्रस्ताव भेजे जाएंगे। प्रत्येक ब्लॉक से कम से कम दो प्रस्ताव भेजेंगे। नाबार्ड व एनसीडीसी को शामिल करते हुए मार्कफेड व अपेक्स बैंक की दो कमेटियां बनाई गई हैं। फंड से चलने वाली गतिविधियों का प्रारंभिक निर्धारण कर लिया गया है। 263 प्राथमिक कृषि साख सहकारी समितियों व 54 विपणन समितियों को चिन्हित किया गया है।
एक जिला-एक पहचान की योजना बनाई गई है, जिससे जिलों में विशिष्ट उत्पादों को बढ़ावा दिया जायेगा। आत्मनिर्भर भारत के लिए आत्मनिर्भर मध्यप्रदेश बनाएंगे। स्टार्टअप्स को प्रोत्साहन देंगे व मंडियों का आधुनिकीकरण करेंगे। श्री चौहान ने कहा कि सरकार द्वारा मुफ्त बांटे जाने से नहीं, बल्कि इस तरह के फंड जैसी दीर्घकालीन योजनाओं को अमल में लाने से ही किसानों को वास्तविक लाभ होगा।
हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहरलाल खट्टर ने बताया कि हरियाणा में 108 मंडियों का इंफ्रास्ट्रक्चर बहुत अच्छा है, जहां सीमांत क्षेत्रों की मंडियों में पड़ोसी राज्यों के किसान भी उपज रखते हैं। राज्य में पानी की समस्या के चलते धान की खेती को कम करके अन्य फसलों पर ध्यान दिया जा रहा है। मेरा पानी-मेरी विरासत योजना बनाई गई है।
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि स्थानीय जरूरतों के अनुसार कृषि अवसंरचनाएं विकसित की जाएगी, ताकि किसानों की समस्याएं दूर हों, उन्हें सुविधाएं मिलें।
हिमाचल प्रदेश के कृषि मंत्री श्री वीरेंद्र कंवर, गुजरात के कृषि मंत्री श्री आर.सी. फलदू, बिहार के कृषि मंत्री डॉ. प्रेम कुमार व नाबार्ड के चेयरमैन श्री जी.आर. चिंताला ने भी विचार रखें। केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री श्री कैलाश चौधरी भी वीसी से जुड़े थे।
कृषि राज्य मंत्री श्री पुरुषोत्तम रूपाला ने आभार प्रकट किया। कृषि मंत्रालय के संयुक्त सचिव श्री विवेक अग्रवाल ने योजना का प्रेजेंटेशन देते हुए राज्यों में प्रोजेक्ट मैनेजमेंट यूनिट बनाने का सुझाव दिया।