मध्य प्रदेश के सहकारिता मंत्री अरविन्द सिंह भदौरिया ने हाल ही में अपने मंत्रालय में आयोजित सहकारी नेताओं की एक बैठक को संबोधित किया। बैठक में नेताओं ने कोविड-19 के मद्देनजर वार्षिक आम बैठक की समय-सीमा को बढ़ाने के लिए मंत्री से आग्रह किया।
बैठक में राज्य की विभिन्न सहकारी समितियों से जुड़े 20 से अधिक सहकारी नेताओं ने भाग लिया। उपस्थित लोगों में मध्य प्रदेश राज्य शीर्ष सहकारी बैंक के पूर्व अध्यक्ष एवं विदिशा से सांसद रमाकांत भार्गव; सहकार भारती के प्रदेश अध्यक्ष विवेक चतुर्वेदी; उज्जैन डीसीसीबी के अध्यक्ष किसन सिंह भटोल; इंदौर परस्पर यूसीबी के निदेशक शेखर किबे, अरुण सिंह तोमर समेत अन्य शामिल थे।
इस अवसर पर सहकारी नेताओं ने राज्य में सहकारी आंदोलन को मजबूत करने के लिए कई सुझाव दिए। ‘भारतीयसहकारिता’ से बात करते हुए एक प्रतिभागी शेखर किबे ने कहा, “हमने मंत्री से कोविड-19 के मद्दनेजर एजीएम को आगे बढ़ाने के लिए अधिसूचना जारी करने का अनुरोध किया है। अधिनियम के अनुसार, हमें 31 सितंबर से पहले एजीएम आयोजित करनी होती है, लेकिन कोविड –19 के मद्देनजर, हम समय सीमा को पूरा करने में विफल रहे हैं”, उन्होंने बताया।
“मंत्री के समक्ष रखा गया एक अन्य सुझाव सहकारी दूध संघ के नेटवर्क का विस्तार किये जाने के संबंध में था। वर्तमान में राज्य में पाँच से अधिक दूध संघ हैं और बैठक के दौरान हमने मंत्री से दूध संघ के नेटवर्क का विस्तार करने के लिए आग्रह किया, किबे ने कहा।
किबे ने आगे कहा, “हमने मंत्री से ‘वन-टाइम सेटलमेंट स्कीम’ को लागू करने का अनुरोध किया है, ताकि पैसे की वसूली हो सके। मंत्री ने हमारी चिंता को बहुत धैर्य से सुना और आश्वासन दिया कि जल्द ही सभी मुद्दों को हल किया जाएगा”, उन्होंने संतोष के साथ कहा।
इस बीच, मंत्री ने कहा कि सहकारिता से जुड़े विशेषज्ञों की एक टीम राज्य सहकारी क्षेत्र को मजबूत करने के उद्देश्य से अध्ययन के लिए महाराष्ट्र और गुजरात भेजी जाएगी।
राज्य में 55 से अधिक शहरी सहकारी बैंक, 38 जिला केंद्रीय सहकारी बैंक और लगभग एक हजार पीएसीसी हैं।
बैठक डेढ़ घंटे तक चली। बैठक के तुरंत बाद भदोरिया ने ट्वीट किया, “आज मंत्रालय में सहकारिता विभाग से संबंधित बैठक को संबोधित किया। रमाकांत भार्गव; विदिशा संसदीय क्षेत्र के सदस्य – विवेक चतुर्वेदी; सुभाष मांगे, कैलाश पाटीदार, राजकुमार रायजादा, किशन भटो
अफसोस की बात है कि इस बैठक में कांग्रेस सहित विपक्षी दलों का कोई प्रतिनिधि नहीं था।