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वित्त मंत्री के आश्वासन के बाद शंका हुई दूर: अनास्कर

महाराष्ट्र अर्बन कोऑपरेटिव बैंक फेडरेशन के अध्यक्ष विद्याधर अनास्कर ने बैंकिंग विनियमन (संशोधन) विधेयक, 2020 संसद के दोनों सदनों में पारित के बाद प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा, “संसद में केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के आश्वासन के बाद कई शंकाएं दूर हो गई है, जिसमें सहकारी बैंकों को वाणिज्यिक बैंकों में परिवर्तित करना एक है। मंत्री ने कहा कि को-ऑप बैंक सहकारी सिद्धांत पर चलेंगे और ‘एक सदस्य एक वोट’ के सिद्धांत से कोई छेड़छाड़ नहीं की जाएगी।”

बता दें कि अनास्कर पहले संशोधन के कुछ प्रावधानों का विरोध कर रहे थे लेकिन अब वह दोनों सदनों से विधेयक के पारित होने से काफी संतुष्ट है। उन्होंने कहा, “हमें इसे स्वीकार करना चाहिए। हमें को-ऑप बैंकों की कार्यशैली को बदलना होगा। हमें उक्त संशोधन के साथ व्यापार को चलाना होगा। हालाँकि पहले हमने कुछ प्रावधानों का विरोध किया था लेकिन अब इस मुद्दे पर बहस बंद होनी चाहिए”, उन्होंने फोन पर इस संवाददाता से कहा।

धारा 12 के प्रावधान, जो कि शेयर के रिफंड पर प्रतिबंध लगाता है, जिसे हाल ही में जोड़ा गया है, के संबंध में शंकाओं को दूर करते हुए उन्होंने कहा कि जो शेयरधारक अपना शेयर वापस लेना चाहते हैं, उसके शेयर को नए आवेदकों को हस्तांतरित किया जा सकता है। वर्तमान में शेयर वापस लेने पर पांच साल की लॉकिंग अवधि है।

हालांकि, वह इस तथ्य से निराश थे कि बैंकिंग विनियमन (संशोधन) विधेयक के पेश होने के दौरान दोनों सदनों के बहुत कम सदस्य मौजूद थे। “केवल 32 सदस्य लोकसभा में उपस्थित थे जबकि राज्यसभा में केवल छह थे। किसी ने भी बिल में कोई संशोधन का सुझाव नहीं दिया। उल्लेखनीय है कि लोकसभा और राज्यसभा में कई सांसद सहकारी पृष्ठभूमि से हैं”, उन्होने रेखांकित किया।

सीतारमण ने लोकसभा में कहा था कि 277 शहरी सहकारी बैंकों की वित्तीय स्थिति कमजोर है।105 सहकारी बैंक न्यूनतम विनियामक पूँजी आवश्यकता को पूरा करने में असमर्थ हैं। 47 बैंकों की निवल संपत्ति निगेटिव है और 328 शहरी सहकारी बैंकों का सकल एनपीए अनुपात 15% से अधिक है।

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