हिमाचल प्रदेश स्थित जोगिंद्र सेंट्रल कोऑपरेटिव बैंक के पूर्व अध्यक्ष और वर्तमान निदेशक विजय ठाकुर पर धन के दुरुपयोग का आरोप लगा है। हालांकि ‘भारतीयसहकारिता’ संवाददाता से बातचीत में ठाकुर ने अपने ऊपर लगे सभी आरोपों को सिरे से खारिज किया है।
सूत्रों के अनुसार, हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर ने राज्य रजिस्ट्रार को विजय ठाकुर के खिलाफ जांच करने का आदेश दिया है।
ठाकुर ने कहा कि वित्तीय मामले ज्यादातर बैंक के प्रबंध निदेशक द्वारा निपटाए जाते हैं और हर साल नाबार्ड और सहकारी समितियों के रजिस्ट्रार बैंक के रिकॉर्डों का निरीक्षण करते हैं। और मैंने बैंक के पैसा का दुरुपयोग नहीं किया है। इससे पहले की हम उनसे कुछ और सवाल करते, उन्होंने गुस्से में फोन काट दिया।
बैंक के पूर्व अध्यक्ष पर आरोप है कि उन्होंने एक निजी बीमा कंपनी में पैसा लगाकर बैंक को हानि पहुंचाई है और आधिकारिक वाहन को अपने निजी उपयोग में लिया है।
“भारतीयसहकारिता” को उस पत्र की प्रति मिली है जिसमें ठाकुर पर लगे कई आरोपों का उल्लेख किया गया है। सूत्रों का कहना है कि राज्य सहकारिता विभाग के गलियारों में यह चर्चा का विषय बना हुआ है।
पत्र के मुताबिक, ठाकुर ने अपने विदेश दौरे को एक निजी उद्यम द्वारा प्रायोजित कराया था, जिसके बदले में उन्होंने कंपनी को इंसयोरेंस का बिजनेस देने का वादा किया था। उन्होंने दौरे के लिए सरकार की अनुमति नहीं ली थी, जो अनिवार्य है। तत्कालीन सहकारिता मंत्री ने उनके द्वारा पूर्व में मांगी गई अनुमति को अस्वीकार कर दिया था।
एक अन्य आरोप यह है कि कई सहकारी समितियों के बोर्ड में होने के नाते, ठाकुर ने अपने निजी उपयोग के लिए बैंक के वाहन का उपयोग किया। बैंक के वाहन को अधिकार क्षेत्र से बाहर ले जाया गया था और यहां तक कि निजी कंपनियों की बैठकें जैसे हिमबंकर लिमिटेड कुल्लू की बैठकों में इसे अक्सर ले जाया जाता था।
इसके अलावा, बैंक के अध्यक्ष के रूप में उन्होंने सरकार के निर्देशों का उल्लंघन करके एमडी को प्रति माह रु.8,000/- आवास भत्ता दिया, जबकि एक एचएएस अधिकारी की स्वीकार्य सीमा रु.2,000/- प्रति माह है।
एक अन्य आरोप हैं कि “प्रबंधन ने अन्य बैंकों में एफडी के रूप में जमा पैसा को निकाल कर कई कंपनियों में एक ब्रोकर के माध्यम से म्युचुअल फंड में करोड़ों रुपए का निवेश किया है। अफवाहें हैं कि ठाकुर को निवेश के लिए लाखों रुपए का कमीशन मिला है। एक मामले में यह पता चला है कि फ्रैंकलिन म्यूचुअल फंड में 15 करोड़ रुपये की राशि का निवेश किया गया था, जिसमें बैंक को होने वाली संभावित हानि लगभग 5 करोड़ रुपये है।
“वर्ष 2018 से बैंक की ऑडिट रिपोर्ट में विभिन्न खामियों के बारे में बताया गया है और इस मामले में आगे की जांच में अभी और गड़बड़ियों का पता चल सकता है”, आरोपों की सूची में लिखा है।
ठाकुर के कार्यकाल के दौरान, डेटा सेंटर/सॉफ्टवेयर की स्थापना के लिए ऋण के रूप में एकीकृत सहकारी विकास परियोजना (आइसीडीपी) से 3 करोड़ रुपये प्राप्त हुए थे। इसके अलावा, इसके लिए लाखों रुपये की सब्सिडी भी दी गई थी। लेकिन यह पता चला है कि अब तक कोई डेटा सेंटर स्थापित नहीं किया गया है और जहां तक सॉफ्टवेयर की स्थापना का संबंध है, यह पहले से ही बैंक में मौजूद है। इस प्रकार, बैंक प्रबंधन द्वारा लाखों रुपये की सब्सिडी राशि का गलत तरीके से उपयोग किया गया।
पाठकों को याद होगा कि हाल ही में हुए बैंक के चुनाव में, योगेश कुमार को बैंक के अध्यक्ष के रूप में निर्विरोध चुना गया है। हालांकि नवनिर्वाचित चेयरमैन बीमार होने के कारण हमसे बात करने में असमर्थ थे, लेकिन कुमार ने ठीक होने के बाद हमारे सवालों का जवाब देने का आश्वासन दिया।