आयकर विभाग की टीम ने बुधवार को बिहार राज्य सहकारी बैंक के अध्यक्ष और नेफ्सकॉब के उपाध्यक्ष रमेश चंद्र चौबे के दफ्तर और घर पर छापा मारा।
बैंक के अध्यक्ष के अलावा चौबे, बिहार विपणन सहकारी संस्था बिस्कोमान के बोर्ड में निदेशक भी हैं और वे संस्था के अध्यक्ष सुनील कुमार सिंह के भी काफी करीबी बताए जाते हैं। संयोग से, बिस्कोमान के अध्यक्ष सुनील सिंह राजद से ताल्लुक रखते हैं और बिहार विधानसभा चुनाव में ग्राउंड जीरो पर काफी सक्रिय हैं। हालांकि कई लोग छापमारी को सुनील के लिए चेतावनी के रूप में देख रहे हैं, जिन्हें हाल ही में राजद से एमएलसी और पार्टी का कोषाध्यक्ष बनाया गया।
पाठकों को याद होगा कि आयकर विभाग ने खनन और होटल उद्योग से जुड़े एक व्यवसायी के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने योग्य मिली खुफिया जानकारी के आधार पर पटना, सासाराम और वाराणसी में तलाशी और जब्ती की कार्रवाई की।
तलाशी के दौरान इस व्यक्ति से सम्बंधित एक कार में 75 लाख रुपये नकद मिले। इसके बाद हुई जांच में यह सामने निकल कर आया कि यह राशि बेहिसाब थी और इसके तार बिहार राज्य सहकारी बैंक के अध्यक्ष से भी जुड़े हुए थे। 1.25 करोड़ रुपये तक की अस्पष्टीकृत नकदी जब्त की गई है, जबकि 6 करोड़ रुपये की एफडीआर को निषेधात्मक आदेशों के तहत रखा गया है। आगे की जांच चल रही है।
आयकर विभाग की कार्रवाई पर प्रतिक्रिया देते हुए चौबे ने कहा, “यह कोई छापेमारी नहीं थी। यह बिहार में चुनाव के मद्देनजर केवल छान-बीन थी। सत्ता पक्ष द्वारा बिहार के चुनाव से पहले मेरी छवि को धूमिल करने का षड्यंत्र रचा जा रहा है।”
उन्होंने भारतीय सहकारिता संवाददाता के साथ बातचीत में स्वीकार किया कि इनकम टैक्स ने रोहतास जिले के डेहरी-ऑन-सोन, पटना के मौर्य लोक कार्यालय और बिहार राज्य सहकारी बैंक के मुख्यालय सहित कई स्थानों पर छापा मारा। इस बीच, बेहिसाब नकदी और दस्तावेज जब्त किए गए।
चौबे ने यह भी स्वीकार किया कि डेहरी-ऑन-सोन से 23 लाख रुपये और उनके पटना घर से 19 लाख रुपये मिले थे। उन्होंने कहा कि मौर्य लोक कार्यालय में कुछ भी नहीं मिला, जो पट्टे पर दिया गया है। उन्होंने धन के कुप्रबंधन में लिप्त होने के आरोपों को नकारा।
उन्होंने आगे कहा कि उनका बेटा ठेकेदार है और कई स्थानों पर पायी गयी रकम मजदूरों के भुगतान, निर्माण सामग्री, भत्ते और अन्य निर्माण कार्यों के लिए रखी हुई थी।
इस छापेमारी को “राजनीति से प्रेरित” बताते हुए कहा है कि, “पहले यह पक्का हो गया था कि मुझे करगहर (रोहतास) से बिहार विधानसभा का चुनाव लड़ने के लिए कांग्रेस या आरजेडी का टिकट मिलेगा और मेरा चुनाव जीतना भी निश्चित था लेकिन आखिरी मिनट में हुए फेरबदल के कारण, मैं टिकट पाने में असफल रहा। यह छापा राजनीति से प्रेरित था।
पाठकों को याद होगा कि चौबे ने बिस्कोमान द्वारा आयोजित एक मेगा को-ऑप सम्मेलन में अपनी सक्रिय भूमिका निभाई थी, जिसका आयोजन इस साल फरवरी में किया गया था।