मद्रास उच्च न्यायालय की मदुरै पीठ ने एक असामान्य फैसले में राज्य के पांच जिलों में नदियों से रेत के अवैध परिवहन के आरोपियों को आदेश दिया है कि वे बालिकाओं के लिए चेन्नई के तांबरम में स्थित “वल्लुवर गुरुकुलम” में प्रायश्चित के रूप में राशि जमा करें।
अदालत के फैसले को तांबरम “गर्ल्स होम” के लिए अप्रत्याशित सम्मान/सहयोग के रूप में देखा जा रहा है। हॉस्टल की फंड से मदद करने के अलावा, इस निर्णय से गरीबों के लिए इस अनोखे घर को चलाने वालों का मनोबल काफी बढ़ा है।
दिलचस्प बात यह है कि डॉ नंदिनी आजाद वल्लुवर गुरूकुलम बालिका-गृह की सचिव हैं। इसके अलावा वह कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय सहकारी समितियों के बोर्ड पर भी हैं।
न्यायालय के फैसले की सराहना करते हुए, वर्किंग वूमन फॉरम की अध्यक्ष डॉ नंदनी आज़ाद ने कहा कि ‘गृह’ लगभग 4000 लड़कियों और लड़कों को 43 वर्षों से आश्रय, शिक्षा, भोजन और कपड़े देने का काम कर रहा है।
वल्लुवर गुरुकुलम में रहने वाले बच्चों के माता-पिता काफी गरीब हैं। झुग्गी-झोपड़ियों के बच्चे और कुछ भीख मांगने वाले बच्चे भी हैं। बच्चों को उनके रिश्तेदारों द्वारा घर का काम करने के लिए भेजा जाता है और बालिकाओं को उपेक्षित छोड़ दिया जाता है। कुछ बच्चों की माता विधवा और पिता शराबी हैं जो अपने भोजन और अन्य दैनिक जरूरतों को पूरा करने में असमर्थ हैं, आइसीएनडब्ल्यू द्वारा भेजी गई एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया।
“कामकाजी महिला मंच” बच्चों को मात्रात्मक सहायता, पौष्टिक भोजन, आवास, चिकित्सा सहायता, कपड़े, व्यावसायिक प्रशिक्षण (सभी पहलुओं में अपने ज्ञान को बेहतर बनाने के लिए योग, संगीत, नृत्य, कम्प्यूटर प्रशिक्षण) और मनोरंजन प्रदान करता है, डॉ आजाद ने कहा।
“इसके अलावा, यह आइसीएनडब्ल्यू इस ‘गृह” को विशेष शुल्क, किताबें, नोटबुक और वर्दी, उपहार और कपड़े के साथ-साथ प्रशासन के लिए कई सहायता प्रदान करता है”, उन्होंने रेखांकित किया।
बच्चों को उनके जीवन में आने वाली समस्याओं के आधार पर साप्ताह में एक बार परामर्श और प्रेरणा दी जाती है। बच्चे, मुख्य रूप लड़कियां, जो कभी निराश, उदासी, समाज का सामना करने के डर से यहाँ रुके थे, अब अपने अतीत से उबर चुके हैं और अपने जुनून को पाने का प्रयास कर रहे हैं।
यह ‘गृह’ पिछले 43 वर्षों से (1976 से अब तक) शहरी गरीब बच्चों और ग्रामीण क्षेत्रों के लिए चल रहा है, जो न केवल निकटवर्ती सरकारी स्कूलों में शिक्षा प्राप्त करते हैं, बल्कि उन्हें बोर्डिंग/लॉजिंग की सुविधा भी प्रदान किया जाता है, अन्यथा ये बच्चे बाल मजदूर या तस्करी करने वाले बन जाते। बच्चों को अच्छी शिक्षा, कल्याणकारी सेवाओं के साथ एक बेहतर भविष्य प्रदान किया जाता है।
उल्लेखनीय है कि “इंडियन कोऑपरेटिव नेटवर्क फॉर वूमेन”, जिसकी अध्यक्षा डॉ नंदनी आजाद हैं, तांबरम स्थित गरीब लड़कियों के अनाथालय में साझेदार है।