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केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को लिखे पत्र में महाराष्ट्र स्टेट को-ऑप बैंक के अध्यक्ष विद्याधर अनास्कर ने संशोधित बैंकिंग अधिनियम के कार्यान्वयन के लिए एक स्वतंत्र सलाहकार समिति का गठन करने की मांग की है।
अनास्कर ने अपने पत्र में लिखा कि उक्त सलाहकार समिति में शहरी सहकारी बैंकों की शीर्ष संस्था नेशनल फेडरेशन ऑफ अर्बन को-ऑपरेटिव बैंक (नैफकॉब) और देश में फैली अन्य राज्य स्तर की शहरी सहकारी बैंक फेडरेशन का प्रतिनिधि होना चाहिए।
“हम इस तथ्य की सराहना करते हैं कि दोनों सदनों के माननीय सदस्यों द्वारा संसद में उठाए गए सवालों का जवाब देते समय आपने भारतीय बैंकिंग प्रणाली और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने में सहकारी बैंकों के महत्व को रेखांकित किया था”, अनास्कर ने पत्र में लिखा।
“आपने सदस्यों को यह भी आश्वासन दिया था कि विधेयक में संशोधन राज्य सहकारी कानून के तहत राज्य रजिस्ट्रार की मौजूदा शक्तियों को प्रभावित नहीं करेंगे और सहकारी सिद्धांत ‘एक व्यक्ति, एक वोट’ को संरक्षित किया जाएगा”, उन्होंने आगे लिखा।
अनास्कर ने आगे कहा, “अब, रिज़र्व बैंक से यह अपेक्षा की जाती है कि वह वाणिज्यिक बैंकों के समान सहकारी बैंकों को भी बीआर अधिनियम के नियमन के तहत लाकर आपके द्वारा दिए गए आश्वासनों को पूरा करने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाए और सहकारी नीतियों को संरक्षित करते हुए, जमाकर्ताओं के 100% हितों की रक्षा के लिए अनुकूल नीतियों को लाए।”
अपने पत्र में उन्होंने वाणिज्यिक बैंकों की तर्ज पर सहकारी बैंकों को भी सुविधा देने की मांग की हैं, जिससे सहकारी बैंकों का विकास हो और ऋण और अग्रिमों और अन्य मुद्दों पर वाणिज्यिक बैंकों के समान दिशा-निर्देश, सुविधाएं, रियायतें जारी करना होगा।
इससे पहले, नेफकॉब के अध्यक्ष ज्योतिंद्र मेहता ने केंद्रीय वित्त मंत्री सुश्री निर्मला सीतारमण से कहा था कि वह बैंकिंग संशोधन अधिनियम के पारित होने के मद्देनजर नियामक निर्देश जारी करने से पहले सहकारी क्षेत्र को विश्वास में लें।